🔴देवरिया से विनय कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
दो वर्षों के कोविड के दौर में लाक डाउन की मंदी से उबरने के बाद नए वित्तीय वर्ष में, दो महीनों के शादी विवाह के लगन से बाजार की रौनक बढ़ने की उम्मीद जगी थी।

लेकिन बाजार से रौनक गायब है फुटपाथ से दुकान तक और होलसेल बाजार तक इसका असर देखा जा सकता हैं।
बाजार में मंदी के असर से लाखों फुटपाथ, फेरी वाले, छोटे दुकानदार और इन जगहों पर मजदूरी करने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं।
व्यापारियों की माने तो इसके पीछे दो वर्षों के लाक डाउन तो है ही लेकिन केंद्र सरकार के उठाये गए कदम भी जिम्मेदार माने जा रहे है, क्योंकि जबसे नोटबन्दी, जीएसटी लागू हुआ तथा आन लाईन कारोबार को बढ़ावा मिला खुदरा कारोबार के पर कतरने लगे हैं।
लाक डाउन ने रही सही कसर पूरी कर दी बैंकों से लोन लेकर कारोबार चमकाने वालो के सामने मुसीबत खड़ी होती जा रही हैं। दुकान का भाड़ा मजदूरों का वेतन बिजली का बिल ऊपर से बढ़ती महंगाई ने सभी वर्ग के कारोबारियों की नींद उड़ा दी हैं। रही सही कसर यूपी सरकार ने बाजारों में फुटपाथ रेहड़ी पटरी वालो,छोटे दुकानदारों पर अतिक्रमण अभियान चलाकर पूरी कर दी।