🟥उमानाथ यादव-

🛑रायबरेली- हमारे देश में द्वापर कलयुग सहित कई युगों सहित धार्मिक काल से रामलीला एवं कृष्ण लीला का प्रचलन सदियों से चला रहा है इसी को देखते हुए कुवर मांस एवं कार्तिक मास में रामलीला का आयोजन किया जाता है।

लेकिन देश के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में यादुकुल नाम के एक राजा राज्य करते थे जो हजारों वर्ष पुरानी कथा के अनुसार हमारे बुजुर्गों द्वारा बताया गया कि भगवान श्री कृष्णा का अवतार मथुरा जिले के मथुरा कस्बे मेंभद्रा मास की अष्टमी तिथि को रात्रि के 12 बजे हुआ था ऐसी कारण से भगवान श्रीकृष्ण के जन्म को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

आपको बताते चले की हजारों साल पहले की बात है उत्तर प्रदेश की मथुरा जिले में यदु नाम के एक राजा हुआ करते थे जिनकी बेटी का नाम देवकी था और यदु राजा के मित्र उग्रसेन थे यदु राजा ने अपनी बेटी को उग्रसेन को दे दिया था उग्रसेन के बेटे का नाम कंस था उसी को अपना बेटा मानकर मथुरा का राजा बना दिया था जो कि ब्राह्मण कुल का राजा कंस था जो एक दि न अपनी बहन देवकी और अपने बहनोई वासुदेव का विवाह होने के उपरांत ससुराल को लेकर जा रहा था इसी को लेकर आकाश में आकाशवाणी हुई की एक कंस तेरे अत्याचार से घड़ा भर चुका है।

और देवकी का आठवां लाल तेरा काल होगा इन्हीं सब की लीलाओं का वर्णन मथुरा में मनमोहके ढंग से किया जाता है और वहां पर भगवान श्री कृष्ण के मंदिर व बाल लीलाओं का सुंदर ढंग से वर्णन होता रहता है इसी तरह की लीलाओं का वर्णन उत्तर प्रदेश के रायबरेली जनपद में स्थित डलमऊ कस्बे से संबंधित नाथ खेड़ा गांव में बाल कलाकारों के द्वारा आयोजित किया जाता है

जिसको देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उन्नाव फतेहपुर लखनऊ प्रतापगढ़ इलाहाबाद सहित आसपास के जिलों से आकर लीलाओं को देखते हैं जो 6 दिवसीय लीला का आयोजन किया जाता है जिसमें बच्चे बुजुर्ग महिलाएं एवं नवयुवक रात में श्री कृष्ण लीला का मनमोहन दृश्य का

आनंद लिया जाता है क्योंकि आपको बता दे की रामलीला का आयोजन तो तमाम जगहों पर देखने को मिलता है लेकिन श्री कृष्ण की लीला कुछ ही स्थान पर देखने को मिलती है