✍️रिपोर्टर,अब्दुर्रहीम शेख़।

🔴लालगंज, आजमगढ़।
(10 अगस्त को मनाया अन्याय दिवस )

10 अगस्त 1950 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा एक विशेष अध्यादेश द्वारा संविधान के अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगाकर मुस्लिम व ईसाई दलितों से आरक्षण छीने जाने के विरुद्ध राष्ट्रीय ओलमा कोसिल के पदाधिकारीयों ने जिला मुख्यालय पर प्रधानमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा । इस अवसर पर प्रेस को जारी बयान में राष्ट्रीय ओलना कासिल के प्रदेश अध्यक्ष अनिल सिंह ने कहा कि आजादी का पहला उद्देश्य देश के सभी वर्गों को सामाजिक , आर्थिक ए शैक्षिक विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना था । धर्म , जात , वर्ग , नस्ल , लिंग , भाषा के भेदभाव वो बिना सभी वर्गों को दूर करने और जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए उन्हें आरक्षण की सुविधा दी गई सदियों से अन्याय के शिकार रहे । परन्तु जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली स्वतंत्र भारत की पहली कांग्रेस सरकार ने समाज के विभिन्न दलित वर्गों के साथ भेदभाव करते हुए संविधान में आरक्षण से सम्बंधित अनुच्छेद 341 में संशोधन कर धार्मिक प्रतिबन्ध लगा दिया और धर्म विशेष को छोड़ समाज के अन्य धर्मों से सम्बन्ध रखने वाले दलिता को 1936 से मिल रहे आरक्षण को छीन लिया जो कि भारतीय संविधान के मूलभूत सिध्दानतों के ही विरूध्द था । यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष नुरुलहुदा अन्सारी ने कहाकि भारतीय संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देता तो धर्म के आधार पर आरक्षरण छीना कैसे जा सकता है ? यह निंदनीय है कि जवाहर लाल नेहरू की नेतृत्व वाली सरकार ने 10 अगस्त 1950 को एक विशेष अध्यादेश पास कर अनुच्छेद 341 में यह शर्त लागू कर दी कि हिन्दु धर्म को छोड़ अन्य धर्म को • मानने वाले अनुसूचित जाति के सदस्य नहीं माने जाऐंगे अर्थात वह अनुसुचित जाति को मिलने वाले आरक्षण के योग्य नहीं होंगे । इस प्रकार तत्कालीन सरकार ने संविधान का उल्लंघन करते हुए धर्म के आधार पर आरक्षण को प्रतिबंधित कर दिया । हालांकि नेहरू सरकार के विरुद्ध आन्दोलन होने पर 1956 में सिखो को और 1990 में बौद्ध धर्म को मानने वालों को नए संशोधन कर इस सूचि में जोड़ दिया गया परन्तु मुस्लिम और ईसाई वर्ग के दलितों को आज भी इस सूचि से बाहर रखा गया है और उनके मूल ● अधिकारों को उल्लंघन किया जा रहा है । नेहरू द्वारा लागू किया गया यह कॉन्सटीटूशन ( शिदूल्ड कास्ट ) ऑर्डर 1950 असवैधानिक , अलोकतांत्रिक एवं अन्याय , अत्याचार व संप्रदायिक्ता पे आधारित है जिसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए ।