माहे रमजान के 22 वाँ दिन

माहे रमजान के चौथे जुमा को बड़ी संख्या में की गई नमाज अदा

बाद नमाज जुमा चौराहों पर हुई जमकर अफ्तारी की खरीदारी

🟥संत कबीर नगर सेमरियावां।पवित्र माहे रमजान के 22 वें रोजा के दिन चौथे जुमा को इलाके की मस्जिदों में काफी भीड़ रही।सभी मस्जिदें नमाजी रोजदारों से भरी रहीं।सभी आयु वर्ग के लोग काफी संख्या में नमाज जुमा की नमाज अदा की।
सवेरे से ही घरों में बरकत वाले रमजान महीने के जुमा के दिन घरों मस्जिदों में विशेष साफ सफाई की तैयारी की गई।सवेरे से ही मस्जिदों में रोजेदार नमाज जुमा अदा करने के लिए एकत्र होने लगे।मस्जिदों में भीड़ को देखते हुए विशेष प्रबंध किए।
जामा मस्जिद सेमरियावां,मदनी मस्जिद सेमरियावां, खलिलिया मस्जिद सेमरियावां सहित बाघनगर,दुधारा, उशरा शहीद , लोह रौली,करही, सालेहपुर , अगया,दरियाबा, तिलजा,तिनहरी माफी ,दानुकोइयां, बिगरा मीर, चिउटना,नौवा गांव,महादेव,ऊंचाहरा आदि गांवों में स्थित मस्जिद मदरसों में रोजादारों ने बड़ी संख्या में पहुंचकर निर्धारित समयानुसार नमाज जुमा की नमाज अदा की।
मदनी मस्जिद में इमाम कारी नसीरुद्दीन , जामा मस्जिद में मौलाना कारी मो अरशद कदमी,ने नमाज पढाई।

नमाज जुमा के मौके पर इमाम कारी नसीरुद्दीन ने माहे रमजान की विशेषता एवं महत्व पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा की रोजा आदमी के लिए ढाल है।रोजा हिफाजत करता है अल्लाह के अजाब से। माहे रमजान में झूठ गीबत से बचना चाहिए।निगाह और जबान की हिफाजत करें।हलाल रोजी से रोजा रखो। हराम की कमाई से बचें। माहे रमजान नेकी कमाने का दिन है।

जफीर अली करखी जिला उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ ने माहे रमजान की आखिरी दस दिन की विशेषता के बारे में बताया की
रमजानुल मुबारक की रातों में से एक रात शब कदर कहलाती है।जो बहुत ही बरकत और खैर की रात है।पवित्र धर्म ग्रंथ
कुरान पाक में इस रात को हजार महीनों से अफजल बेहतर बतलाया गया है।हजार महीने के तिरासी साल चार माह होते हैं।
खुश नसीब भाग्यशाली है वह व्यक्ति जिसको इस शब कदर की रात नसीब हो जाए।जो व्यक्ति इस एक रात को इबादत ,दुआ, जिक्र अजकार,नफिल नमाज,कुरान की तिलावत आदि में गुजार दे।उसने तिरसी बरस चार माह से ज्यादा इबादत में गुजार दिया। माहे रमजान के आखिरी दस दिन बहुत महत्व के हैं।जिसमे 21,23,25,27,और 29 की रात का विशेष महत्व है।नेकी पुण्य कमाने की रातें हैं।