वाराणसी से अश्विनी कुमार चौहानवाराणसी, । छावनी क्षेत्र स्‍थ‍ित एनटीपीसी के सेवान‍िवृत्‍त कर्मी को कानपुर ले जाकर उनकी हत्‍या करने और उनकी संपत्‍त‍ि हड़पने की साज‍िश रचने वाले मास्‍टरमाइंड राजेश कुमार चौहान को पांच स‍ितंबर की रात पुल‍िस की व‍िशेष टीम ने घर दबोचा। वह अपने दो साथ‍ियों के साथ प्रयागराज अपने वकील से म‍िलने जा रहा था। पुल‍िस ने उसे साथ‍ि‍यों समेत चौकाघाट-लहरतारा ओवरब्र‍िज से ग‍िरफ्तार क‍िया है। मीड‍िया के सामने सोमवार को आरोप‍ितों को पेश क‍िया गया। एड‍िशनल पुल‍िस कम‍िश्‍नर सुभाष चंद्र दुबे ने बताया क‍ि मामले में मुख्‍य आरोप‍ित की पत्‍नी कंचन सिंह चौहान, निगमेंद्र सिंह सिसोदिया व अखिलेश ठाकुर को पहले ही ग‍िरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। तीन की ग‍िरफ्तार अब हुई। शेष चार भी जल्‍द पुल‍िस की ग‍िरफ्त में होंगे।कातिल कितना भी शातिर क्यों न हों, कुछ न कुछ ऐसी गलती कर ही बैठता कि वह कानून के शिकंजे में आ ही जाता है। ऐसी ही कुछ गलती मार्तंड शाही के हत्यारे भी कर बैठे। जिस सुसाइड नोट को कातिलों ने अपने बचाव में मृतक के वाट्सएप नंबर से उसके दामाद व अपने एक साथी को भेजा था, उसी ने सारी गुत्थी परत-दर-परत खोल कर रख दी। दरअसल, मृतक के जेब से फोल्ड स्थिति में मिले सुसाइड नोट पर हिंदी व अंग्रेजी में हस्ताक्षर के साथ ही उसके अंगूठे का निशान भी था। हत्या वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के क्षेत्र से दूर कानपुर के नजदीक हुई थी। सवाल उठा कि जिस व्यक्ति ने खुदकुशी की और मरने से थोड़ी ही देर पहले उसने दामाद व दोस्त को जो सुसाइड नोट वाट्सएप किया, वह कहीं से भी मुड़ा नहीं था। ऐसे में या तो उसने बस में ही नोट लिखा होगा। यदि बस में लिखा तो राइटिंग कहीं गड़बड़ क्यों नहीं हुई और यदि घर पर ही लिखा तो फिर वो मुड़ा क्योंं नहीं था। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश को इस पर शक हुआ तो उन्होंने पूरी टीम को तफ्तीश में लगा दिया।मृतक मार्तंड शाही इस घटना के अभियुक्त राजेश कुमार चौहान व निगमेंद्र सिसोदिया के घनिष्ट मित्र थे। मार्तंड शाही घर में अकेले रहते थे। उनका बेटा नोएडा में रहता है और बेटी-दामाद कानपुर में। मित्रता का फायदा उठाते हुए अभियुक्तों ने छल से मृतक की संपत्ति हड़पने के लिए सुनियोजित तरीके से षडयंत्र रचते हुए, उन्हें विश्वास में लेकर उनकी अचल संपत्ति अभियुक्त राजेश कुमार व उसकी पत्नी कंचन चौहान ने दानपत्र के माध्यम से अपने पक्ष में करा लिया। राजेश चौहान से निगमेंद्र सिसोदिया ने बताया कि दानपत्र में प्रापत अचल संपत्ति पर आपका कोई विधिक अधिकार नहीं है, जब तक दान देने वाला व्यक्ति जीवित है। इसी बीच मृतक ने कानपुर निवासिनी अपनी नातिन को संपत्ति लिखने की बात कही। लाखों की संपत्ति हाथ से जाता देख राजेश चौहान ने पत्नी कंचन, मित्र निगमेंद्र सिसोदिया, अखिलेश ठाकुर के साथ मिलकर उनकी हत्या की योजना बनाई। मार्तंड शाही को कानपुर जाकर अपनी नातिन से मिलने के लिए राजी कर लिया गया। इसी क्रम में सात अगस्त 2021 को उन्हें छावनी क्षेत्र स्थित शिव मंदिर से इनोवा कार में बिठाकर अभियुक्त कानपुर के लिए निकले। निगमेंद्र सिसोदिया को घटना के बाद मार्तंड शाही के बुद्ध विहार कालोनी स्थित मकान पर कब्जा करने की जिम्मेदारी देकर रोक दिया। कानपुर पहुंचने से पहले कंचन ने मार्तंड शाही को थरमस से नशीला पदार्थ मिला दूध पिलाया। थोड़ी देर बाद जब वे बेसुध हो गए, तक सड़क किनारे गाड़ी खाड़ी कर दी गई। पीछे बैठे अखिलेश ठाकुर ने करीब एक फीट के राड से मार्तंड के सिर पर जोरदार वार किया। वे छटपटाने लगे। चिल्लाने की कोशिश की तो कंचन व राजेश ने उनका हाथ-पैर कसकर पकड़ लिया और अखिलेश ने मुंह दबाया। अभियुक्तों को जब इत्मीनान हो गया कि मार्तंड बेसुध हो गए हैं तो उन्हें गाड़ी से उतारकर सड़क किनारे फेंक दिया गया।मृतक के घर के नजदीक सीसीटीवी कैमरा लगा था। अभियुक्तों ने उन्हें रिक्शे से घर से कुछ दूर ऐसी जगह बुलाया, जहां कैमरा नहीं लगा था। वहां उन्हें इनोवा में बिठाया गया। उस वक्त राजेश कुमार चौहान, उसकी पत्नी कंचन सिंह चौहान व गार्ड का काम करने वाले अखिलेश ठाकुर कार में बैठते हुए गली की दूसरी ओर लगे सीसीटीवी में कैद हो गए। शिनाख्त होते ही पुलिस का काम आसान हो गया।सुसाइड नोट में भाई व इकलौते पुत्र से आजिज आकर जान देने की बात लिखी गई थी। कातिलों ने इसमें बेटे व भाई को उलझाने का षड़यंत्र रचा ताकि संपत्ति का दावा करने वाला कोई न रहे। इस बीच 16 अगस्त को मृतक का पुत्र अमित शाही छावनी क्षेत्र स्थित अपने आवास पहुंचा। यहां गार्ड ने उसे रोक दिया, बोला घर अब नए मालिक राजेश कुमार चौहान का है। इस पर पुत्र कैंट थाने पहुंचा और पिता के आवास व अन्य संपत्ति की लालच में अपहरण व हत्या करने का आरोप लगाते हुए राजेश कुमार चौहान, कंचन सिंह चौहान, बृजेश यादव, रमेश यादव, दिनेश कुमार सिंह, निगमेंद्र सिंह सिसोदिया, सुबोध कुमार द्विवेदी व राजेश कुमार के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस जांच में इन आठ के अलावा घटना में अखिलेश ठाकुर व रामप्रवेश तिवारी की भी संलिप्तता पाई गई। इनमें से निगमेंद्र व कंचन को पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया है, जबकि शेष फरार हैं। सभी के मोबाइल बंद हैं।सुनियोजित हत्या को दुर्घटना का रूप देने के लिए मार्तंड शाही के मोबाइल से उनके दामाद को व निगमेंद्र को पहले से लिखित सुसाइड नोट का स्क्रीनशाट वाट्सएप किया गया। फिर वहां से लौटते समय इनोवा गाड़ी से बेसुध पड़े मार्तंड को कुचला गया, ताकि उनकी मौत पूर्ण रूप से दुर्घटना ही लगे। उनकी जेब में स्ट्रिप सहित नशे की गोली, बनारस से कानपुर का बस टिकट व सुसाइड नोट डाल दिया गया। वापस लौटते समय रास्ते में ही कहीं मृतक का मोबाइल, उनका झोला व हत्या में प्रयुक्त लोहे का राड झाड़ियों में फेंक दिया गया।