🟥संतकबीरनगर

मदरसों में गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के साथ साथ उनके खाने रहने आदि की वेवस्था की जाती है। इसपर पड़ने वाला खर्च चंदे के पैसे से आता है । यदि मदरसे ना होते तो यह गरीब बच्चे निरक्षर और आशिक्षित रह जाते ऐसी जगह में मदरसे जहाँ गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम करते हैं। वहीं मदरसे के बच्चे मैदासों व अन्य जगहों पर छोटी छोटी नौकरी करके अपना जीवन यापन करते हैं।
उक्त विचार जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष व मदरसे के परबंधक आफताब आलम खाँ ने मदरसा अर्बिया मरियम मेमोरियल महुली के प्रांगण में उपस्थित मदरसा शिक्षकों, बुद्धजीवियों व मौजूद लोगों को मुख्य अतिथ के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
श्री खाँ ने आगे कहा की अधिकांश मदरसों में सीमित संसाधन होने के बावजूद उर्दू अरबी के साथ साथ अंग्रेजी, मैथ, साइंस आदि आधुनिक विषयों की शिक्षा दी जाती है। लेकिन यह काफी नहीं है। आज आवशयकता इस बात की है की आधुनिक शिक्षा के साथ साथ उन्हें उच्च कोटि की तकनिकी शिक्षा दी जाए जिस से मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे आई° ए° एस°, पी° सी° एस° , डॉकटर, इंजीनियर आदि बने व बड़े बड़े वाहदों और पदों पर पहुचें। जिससे उनका और उनके कौम की तरक्की व विकास हो सके। उक्त कार्यक्रम में मदरसे के र्पिन्सिपल इल्तेजा हुसैन रिज़वी, हाफिज जाहिद, हाफिज सैय्यद, हाफिज इमरान, शमशेर आलम खाँ, अयान आलम खाँ, आमिना खातून, नौशीन खान,शारदा शर्मा और मुस्तफा हुसैन सहित तमाम पर्मुख लोगों ने भाग हिस्सा लिया