मंकी पॉक्स से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में

कर्मियों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश

– आम लोगों से स्वच्छता के प्रति सजग रहने की अपील

✍️डॉ शशि कांत सुमन

🔴मुंगेर। बिहार में मंकी पॉक्स के दो संदिग्ध मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट मोड़ में है। इसको ले स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जिला के सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधकों तथा सामुदायिक उत्प्रेरकों को मंकीपॉक्स की रोकथाम संबंधी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (एसओपी) के पालन करने के लिए कहा गया है ।

स्वास्थ्य कर्मियों को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश
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सिविल सर्जन डॉ. पीएम सहाय ने बताया कि जिला स्तर पर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल के पालन करने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को किसी भी मामले में तुरंत आवश्यक इलाज सुविधा मुहैया कराने के लिए कहा गया है। जिला में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला देखने में नहीं आया है। बावजूद इसके लोगों को इस बीमारी के बारे में सभी आवश्यक जानकारी रखनी है। हालांकि यह एक संक्रामक बीमारी है,लेकिन इसका इलाज मौजूद है। इसलिए इस बीमारी के प्रति भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है । यह रोग जानलेवा नहीं है ।

छह से 13 दिन में दिखता है रोग का लक्षण
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जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक ( डीपीएम) नसीम रजि ने बताया कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल में इस बात की जानकारी दी गयी है कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है जो एक वायरस के संक्रमण से होता है। यह स्मॉल पॉक्स के समान ही एक रोग है। जिसका लक्षण संक्रमण के छह से 13 दिनों के अंदर सामने दिखने लगते हैं। इस बीमारी में संक्रमण के लक्षण बुखार के रूप में दिखते हैं। इसके साथ ही इस बीमारी में सिरदर्द, मांसपेशियों में जकड़न, अत्यधिक कमजोरी रहता है और बुखार के साथ त्वचा पर रैश हो जाता है । इसकी शुरुआत चेहरे से होती है और बाद में यह शरीर के दूसरे हिस्से में भी फैल जाती है। रैश होने पर इसमें खुजली हो सकती और आखिर में यह पपड़ी बन जाता है। इस बीमारी का संक्रमण आमतौर पर खुद ब खुद ठीक हो जाता है। हालांकि इसमें 14 से 21 दिन भी लग सकते हैं। यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है। ऐसे में संक्रमण को दूर रखने के सभी एहतियात का पालन करना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों को निर्देश है कि त्वचा पर रोग के लक्षण दिखने पर रोगी को आइसोलेशन में रख कर इलाज करना है। इसके साथ ही संक्रमण के लिए सभी आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन करना है। पीपीई किट, हैंड ग्लब्स तथा मास्क का इस्तेमाल करना जरूरी है। इसके साथ ही संक्रमित व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किए गए चादर, कपड़े तौलिया जैसी दूषित सामग्री के सम्पर्क में आने से बचना चाहिए और साबुन और पानी या अल्कोहल युक्त हैंड सैनिटाइजर का उपयोग कर अपने हाथों को स्वच्छ रखना आवश्यक है। कम इम्युनिटी वाले व्यक्तियों को मंकी पॉक्स के वायरस से संक्रमित होने की संभावना अधिक है। मंकी पॉक्स होने कि स्थिति में आंखों में दर्द या धुंधली दृष्टि, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, बार-बार बेहोश होना और दौरे पड़ना और पेशाब में कमी की परेशानी हो सकती है। इनमें से किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना आवश्यक है। यह बीमारी प्रत्यक्ष शारीरिक सम्पर्क, शरीर से निकलने वाले तरल पदार्थ, यौन सम्पर्क या घावों के सम्पर्क में आने और लंबे समय तक निकट सम्पर्क में आने पर सांस की बूंदों से संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में आने से हो सकता है।