अक्तूबर में दर्ज़ मामले की अगली सुनवाई आगामी 15 जनवरी को

✍️ANA/Arvind Verma

🟠खगड़िया (बिहार)। जिला मुख्यालय स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों यथा वस्त्रालय दुकान, रेडीमेड दुकान, किराना दुकान, कपड़े की दुकान, कॉस्मेटिक की दुकान, सोने चांदी की दुकान, होटल, रेस्टुरेंट, खाद दुकान दवाई दुकान, अनाज दुकान आदि में कार्यरत श्रमिकों का शोषण लगातार जारी है।

उन्हें ना तो न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत मजदूरी की राशि का भुगतान हो रहा है और न ही साप्ताहिक छुट्टी मिलती है। न ही किसी प्रकार की कल्याणकारी लाभ ही मिल रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित 8 घंटे की बजाय 12-12 घंटे तक श्रमिकों से कार्य लिया जा रहा है। और तो और कुछ ऐसे व्यापारी सह नियोजक हैं जो अपने श्रमिकों को सही समय पर मजदूरी भी नहीं देते और मजदूरी का भुगतान में भी अनियमितता बरती जा रही है।

हाल ही में विगत अक्टूबर महीने में ही शहर के एक प्रतिष्ठित दुकान भारत वस्त्रालय में कार्यरत एक श्रमिक ने मजदूरी की राशि में कटौती कर बकाया राशि का भुगतान नहीं करने के संबंध में श्रम अधीक्षक कार्यालय, खगड़िया में एक मामला दर्ज किया।मामला दर्ज होते ही श्रम विभाग के श्रम अधीक्षक निखिल कुमार रंजन ने इसे गंभीरता से लिया और 21 दिसंबर 2023 को दोनों पक्ष को 30 दिसंबर 2023 को हाजिर होने के लिए पत्र निर्गत किया।

श्रमिक निर्धारित समय पर श्रम अधीक्षक कार्यालय पहुंचे मगर भारत वस्त्रालय के प्रोपराइटर खुद उपस्थित नहीं हुए। उनके प्रतिनिधि एक पत्र लेकर सिर्फ श्रम अधीक्षक कार्यालय में उपस्थित हुए जिसमें पत्र के साथ उपस्थित होने वाले अपने स्टाफ को अधिकृत नहीं किया गया था। इस पर श्रम अधीक्षक ने आपत्ति जताई भारत वस्त्रालय के प्रोपराइटर के अस्वस्थता के बारे में बताने पर श्रम अधीक्षक ने प्रतिनिधि की बातें सुनी और जब भुगतान करने और श्रमिकों के उपस्थिति पंजिका का मुआयना किया तो उसमें कई प्रकार की त्रुटियां पाई।

श्रम अधीक्षक ने भारत वस्त्रालय के प्रतिनिधि को पुनः इस केस की सुनवाई के लिए 15 जनवरी का डेट मुकर्रर किया। पुनः दोनों पक्षों से कहा आवश्यक संबंधित दस्तावेजों और सबूत के साथ कार्यालय में उपस्थित हों। अब देखना है कि शोषित श्रमिक के कल्याण हेतु बकाया राशि का भुगतान करने से संबंधित आदेश श्रम अधीक्षक द्वारा क्या दिया जाता है ?

इन दिनों श्रमिकों के शोषण से संबंधित कई मामले श्रम अधीक्षक कार्यालय में दर्ज हो रहे हैं। कुछ का निष्पादन दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद समझौता करा कर श्रम अधीक्षक श्रमिकों का भुगतान करा रहे हैं।