🛑गोरखपुर – श्रीराम केवल एक महापुरुष, केवल एक दैवी शक्ति संपन्न राजा या भगवान नहीं थे। श्रीराम का जीवन और चरित्र भारत राष्ट्र का जीवन चरित्र है।

महाकवि कालिदास ने उनके व्यक्तित्व की तुलना हिमालय और सागर के साथ एक साथ करके यह बता दिया है कि राम व्यक्ति नहीं राष्ट्र हैं।

भारत और उसकी सनातन परम्परा के लिए राम ही राष्ट्र हैं और राष्ट्र ही राम है। भारत के कण-कण में राम समाविष्ट हैं उक्त बातें अखिल भारतीय ब्राह्मण जनकल्याण समिति के राष्ट्रीय महामंत्री करुणेश पांडेय ने कहा । उन्होंने कहा की भारत के चरित्र ही नहीं भारत के अस्तित्व के आधार राम हैं। श्रीराम का अर्थ है मर्यादा। राम राज्य की स्थापना का अर्थ है मर्यादा की स्थापना।

 

रामराज्य शासन की आदर्श संकल्पना है। एक ऐसी राज व्यवस्था जहां न कोई दुखी हो और न ही अभावों से ग्रस्त हो। जहां जन-जन भय मुक्त हो और चतुर्दिक शांति हो। जहां का शासन सभी के लिए मंगलकारी हो। राम इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए, क्योंकि उन्होंने हर हाल में मर्यादा की रक्षा की और स्थापित किया कि सत्यनिष्ठ, कर्मनिष्ठ और धर्मनिष्ठ आचरण ही

मर्यादा है तथा उससे सभी बंधे हैं। वह हर रूप में मर्यादा के प्रतीक हैं। श्री पांडेय ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी सहित समस्त देशवासियों का आभार प्रकट किया ।