🛑कमल कुमार गुप्ता,

🟥अररिया ( बिहार )
पड़ोसी देश नेपाल सीमा सटे नरपतगंज प्रखंड के पथराहा पंचायत अंतर्गत घुरना बाजार स्थित सार्वजनिक दुर्गा मंदिर की भव्यता व सुंदरता को लेकर आसपास के क्षेत्र सहित पड़ोसी देश नेपाल में भी चर्चित है। यहां प्रत्येक दिन मां भगवती की पूजा अर्चना होती है।

किंतु शारदीय नवरात्र में यहां भव्य तरीके से मां दुर्गा की पूजा होती है एवं मेला भी लगाया जाता है। मंदिर ब्रिटिश काल की याद दिलाती है। इसकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली हुई है। यह मंदिर घुरना बाजार की शान समझी जाती है।

कमिटि के अध्यक्ष शंभू प्रसाद गुप्ता, कोषाध्यक्ष दीपक गुप्ता, सचिव मुकेश साह, केशर गुप्ता, प्रमोद नाहर, अनिल सोनी, ,कमल गुप्ता, बिनोद ठाकुर चंदन साह ,,रघुनंदन गुप्ता, दिनेश ठाकुर, सतीश सोनी , पवन साह,व ग्रामीण मां भगवती की सेवा व मंदिर में अपना योगदान दे रहे हैं। इस मंदिर की प्रसिद्धि पडोसी देश नेपाल के कई क्षेत्रों में पहुंच गयी है।

मंदिर का इतिहास—- मंदिर के इतिहास के संदर्भ में ग्रामीण बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1937 ई. में हुई थी। सर्वप्रथम टीन के बने घर में हीं ग्रामीणों द्वारा भगवती की पूजा प्रारंभ की गयी थी। इसके बाद ग्रामीणों के सहयोग सें मंदिर का पक्कीकरण किया गया।

मंदिर का गुबंज सौंदयीकरण व प्रवेश द्वार पर धातु की सिंहवाहिणी भगवती की प्रतिमा हंसराज जैन, विजय जैन के योगदान से स्थापित किया गया। प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र में मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर में सालों भर कई प्रकार के विशेष अनुष्ठान होते रहते है ।

मंदिर के पुजारी हीरा झा लगभग 26 वर्षों से दुर्गा मंदिर व शिव मंदिर में पूजा अर्चना तथा माता भगवती की सेवा करते है । सालों भर प्रत्येक शुक्रवार को संध्या के समय माता भगवती की भजन संकीर्तन का आयोजन ग्रामीण कीर्तन मंडली द्वारा किया जाता है । दशमी की रात्री में धूमधाम से प्रतिमा का विसर्जन सुरसर कोशी नदी में किया जाता है

 

⭕विशेषता— गुंबज नुमाइश मंदिर में बरसों से मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजा की जाती है , चारों तरफ लोहे की ग्रिल से गिरी इस मंदिर का मुख्य दरवाजा दक्षिण की ओर है। मंदिर के नीचे ले फर्श पर टाइल्स लगा हुआ है यहां सुबह शाम पुजारी हीरा झा के द्वारा पूजा किया जाता है।

इस मंदिर में कलश स्थापना एवं माता शैलपुत्री के पूजा के साथ शारदीय नवरात्र आरंभ होता है। खास यह है कि इस मंदिर में पशुओं की बलि नहीं दी जाती है। सात्विक तरीके से यहां पूजा संपन्न होता है। यहां के पुजारी सप्तमी को बेल के वृक्ष के नीचे जाकर बेल के पेड़ को न्यौता देते हैं। उसके बाद विधि-विधान से दूसरे दिन उसे उस बेल को मंदिर लाया जाता है।

बड़ी संख्या में लाल एवं उजले रंग के फूलों से भगवती की पूजा की जाती है। पूरे क्षेत्र के लोग बैंड बाजा के साथ बेल तोड़ने के लिए जाते हैं।

⭕कहते है कमिटि के अध्यक्ष​—– अध्यक्ष​ शंभू प्रसाद गुप्ता कहते हैं कि नवरात्र के दिनों में पडोसी देश नेपाल के श्रद्धालुगण भी भारी संख्या में पूजा अर्चना करने आते हैं इस मंदिर के पूजारी कभी नमक का सेवन नहीं करते हैं। यहां हर दिन सैकड़ों की संख्या में नेपाल के श्रद्धालु एवं स्थानीय श्रद्धालु पहुंचते हैं छोटे-छोटे बच्चे हर दिन शाम के समय दीप जलाने के लिए पहुंचते हैं। अष्टमी को महाप्रसाद के रुप मे खीर ,नवमी को तथा दशमी को हलुआ का भोग लगाया जाता है । तथा संध्या के समय महाप्रसाद का वितरण किया जाता है, हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण प्रसाद ग्रहण करते हैं।

⭕क्या कहते हैं मंदिर के पूजारी

मंदिर के पूजारी हीरा झा कहते हैं कि इस मंदिर में साक्षात विराजमान भगवती दुर्गा माता की कृपा से यहां आने वाले भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। धार्मिक पुस्तक के अनुसार शप्तशती पाठ व मंत्रोच्चार के साथ भगवती की पूजा पाठ की जाती है। धार्मिक मान्यताओं में प्राचीन एवं अति प्राचीन मंदिरों में इस मंदिर का विशेष महत्व है। इस मंदिर में लोगों का अटूट विश्वास है , माता भगवती सभी मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति करती है ।

 

⭕कहते है कमिटि के कोषाध्यक्ष

कमिटि के कोषाध्यक्ष दीपक गुप्ता कहते है कि शारदीय नवरात्रि के अवसर पर अष्टमी व नवमी को अद्वैत मिशन स्कूल तथा अरुणिता इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों द्वारा नाट्यकला व सास्कृतिख कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा ।

तथा घुरना वार्ड नंबर 10 निवासी पृथ्वी पासवान माता के मंदिर में 10 दिनों तक निर्जला उपवास करता हुआ कलश स्थापना कर लेटे हुए माता की भक्ति में लीन है ।