🟥वाराणसी। महादेव जनकल्याण सेवा समिति के संस्थापक आशीष कुमार मिश्रा ने अपने बच्चे का जन्मदिवस हिन्दू संस्कृति के अनुरूप मनाया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति पाश्चात्य संस्कृति के समक्ष घुटने टेक रहे हैं। परिणाम स्वरूप हमारी धार्मिक कृतियों पर पाश्चात्य संस्कृति का अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। ऐसी कृतियों से ईश्वरीय चैतन्य तो प्राप्त नहीं होता, साथ

 

 

 

 

ही ये कृतियां आध्यात्मिक दृष्टि से हानिकारक होती हैं। जन्मदिन अर्थात जीव की आध्यात्मिक दृष्टि से उन्नति। जीव की निर्मिति से ही उसकी आध्यात्मिक उन्नति आरंभ होती है। जीव प्रत्यक्ष साधना नहीं कर रहा हो, तब भी उस पर किए गए संस्कारों के कारण उसकी सात्त्विकता में वृद्धि होती है तथा उसकी आध्यात्मिक उन्नति आरंभ होती है।जन्मदिन तिथि पर हमारा जन्म होता है, उस तिथि के स्पन्दन हमारे स्पन्दनों से सर्वाधिक मेल खाते हैं। इसलिए उस तिथि पर परिजनों एवं हितचिन्तकों द्वारा हमें दी गई शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सर्वाधिक फलित होते हैं इसलिए जन्मदिन तिथिनुसार मनाना चाहिए। जीवन में बाधाओं के विरुद्ध संघर्ष करने की क्षमता प्राप्त होता है ब्रह्माण्ड में कार्यरत तरंगें जीव की प्रकृति एवं प्रवृत्ति के लिए पोषक होती हैं तथा उस तिथि पर की गई सात्त्विक एवं चैतन्यात्मक कृतियां जीव के अन्तर्मन पर गहरा संस्कार अंकित करने में सहायक होती हैं। इस कारण जीव के आगामी जीवन क्रम को आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं के विरुद्ध संघर्ष करने की क्षमता उससे प्राप्त होती है।

तिथि के अनुसार जन्मदिन पर प्रातः काल स्नान के पश्चात नए वस्त्र धारण करें। उसके उपरान्त माता-पिता, गुरुजनों एवं अन्य ज्येष्ठ व्यक्तियों का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। ज्येष्ठों के प्रति आदर भाव उत्पन्न होने से उसके मन की मलीनता नष्ट होती है। इसके उपरांत ईश्वर का भावपूर्ण पूजा पाठ करें एवं संभव हो तो अभिषेक कर ईश्वर से बच्चे की दीर्घायु होने का ईश्वर से प्रार्थना करें। इसके बाद बच्चे को तिलक लगाकर आरती उतार कर बच्चे को मीठा खिलाकर दीर्घायु होने का आशीर्वाद दें और अपने पुरोहित एवं ब्राम्हणों को भोजन कराएं और यथा संभव द्रव्यदान करें और कम से कम एक वृक्ष लगाएं सामर्थ्य अनुसार गौ माता एवं पशु पक्षी को फल, दाना, मीठा इत्यादि खिलाएं और जरुरत मंदो को यथा संभव वस्त्र और भोजन कराएं ।