🛑गोरखपुर

बाबाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जीवन संगिनी माता रमाबाई जी की जंयती हुमायूंपुर स्थित छात्रावास में विधार्थियों के बीच धूम धाम से मनाई गई।

बतौर मुख्य अतिथि प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग मझवार उपस्थित रहे और माता रमाबाई के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रधासुमन अर्पित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महानगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार ने किया।

मुख्य अतिथि ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रमाबाई भीमराव अंबेडकर का जन्म 07 फरवरी 1898 को एक गरीब दलित परिवार में हुआ था।महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव दाभोल में जन्मीं रमाबाई को रमई या माता राम भी कहा जाता है। बाबासाहेब का जीवन रमाबाई से काफी प्रभावित था।

उन्होंने बाबा साहेब की विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी मदद की। उन्होंने सामाजिक न्याय और सुधार के लिए उनके प्रयासों का भी समर्थन किया। छात्रों के बीच चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार की अनेक योजनाएं केवल अनुसूचित वर्ग के लिए हैं और छात्रों को ध्यान में रखकर ही यह योजनाएं बनाई गई है।

कृष्ण कुमार ने कहा कि बाबासाहेब जब विदेश में थे, तो भारत में रमाबाई को काफी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा। भीमराव अंबेडकर और रमाबाई की एक बेटी (इंदु) और चार बेटे (यशवंत, गंगाधर, रमेश और राजरत्न) थे, लेकिन उनके चार बच्चों की मौत हो गई। उनके सबसे बड़े बेटे यशवंत एकमात्र जिंदा बचे।

लंबी बीमारी के बाद रमाबाई अम्बेडकर का 26 मई 1935 को निधन हो गया। जब उनका निधन हुआ, तो भीमराव अंबेडकर और रमाबाई की शादी के 29 साल हुए थे। बाबासाहेब अम्बेडकर ने 1940 में प्रकाशित “थॉट्स ऑफ पाकिस्तान” नाम की अपनी पुस्तक में अपने जीवन पर रमाबाई के प्रभाव को स्वीकार किया था।

उन्होंने अपनी पुस्तक ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ को अपनी प्यारी पत्नी रमाबाई को समर्पित किया। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि मामूली भीमा से डॉ. अंबेडकर बनाने का श्रेय रमाबाई को जाता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से अमृत लाल भारती सुचिता पासवान दुर्गेश कोरी छात्रावास अध्यक्ष अनिल कुमार विनोद पासवान मीडिया प्रभारी इं. बृजमोहन मनीराम अजय गौतम सहित भारी संख्या में छात्र व सम्मानित नागरिक बंधु उपस्थित रहे।