🟥वाराणसी महादेव जनकल्याण सेवा समिति के संस्थापक आशीष मिश्रा ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कहा कि बेटियां देश का भविष्य हैं। परिवार में लड़की की भूमिका जितनी अहम होती है, उतनी ही किसी समाज और राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण होती है। जन्म से ही एक लड़की कई भूमिकाओं में रहती है। बेटी, बहन, शादी के बाद पत्नी और मां। एक परिवार को संभालने, पीढ़ी बढ़ाने के लिए महिला का योगदान सर्वोपरि है। वहीं परिवार से बाहर निकलकर यही महिला समाज निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका में होती है। आज बेटियों की स्थिति समाज में मजबूत हो रही है। जिन लड़कियों की कम उम्र में शादी कर दी जाती थी। अधिकार के नाम पर घर की

 

 

रसोई तक सीमित रहने वाली वहीं महिलाएं आज शिक्षित होकर न केवल अपने परिवार का भविष्य संवार रहीं, बल्कि कई क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करके देश का नाम रोशन कर रही हैं।आज लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर चाहे बात खेल की हो या फिर नौकरी की। उनके भीतर कुछ कर गुजरने की भूख दिन ब दिन तेज हो रही। सरकार ने उनकी हौसलाअफजाई के लिए कई कार्यक्रम चला रखा हैलेकिन इसके उपरान्त आज भी वह अनेक कुरीतियों की शिकार हैं। ये कुरीतियां उसके आगे बढ़ने में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। पढ़े-लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। आज हजारों लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही कोख में मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहां बेटियों को बेटों की तरह अच्छा खाना और अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है।बेटी को ना समझो दिल का बोझ वह तो आपका गुरूर और सम्मान है.आपके घर की प्यारी सी मुस्कान है,बेटी माता-पिता की जान है.हालांकि महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए सरकारी, गैर सरकारी संस्थाओं के

 

 

साथ ही यूनिसेफ और कई अन्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी काम कर रहे हैं। 24 जनवरी को भारत राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा है। अध्यक्ष उपेन्द्र मिश्रा ने कहा हम सभी को बेटी को भी बेटे जैसे अधिकार देने चाहिए उनको खुब पढ़ाएं बेटी देश का नाम रोशन कर रही हैं। इस दौरान उपेन्द्र मिश्रा,धनेश,विवेक, नीरज,गोविन्द, प्रभात,राजू,दीपक, दिनेश, डा‌• ए के, पीयूष ,विनोद, प्रकाश,रामजनम,गनेश,सुनील,नीरज,अंशु, राहुल,योगेश,वरूण अजित,ओमप्रकाश,पवन,आशीष ,दिनेश,आशुतोष, आयुष शुक्ला समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।