*मशरूम की खेती से घर बैठे, कम श्रम, अल्प पूंजी और छोटी जगह में पूरे वर्ष अधिक आमदनी की प्राप्ति संभव- प्रतिभा झा*

🛑*दरभंगा शहर से डा अंजू कुमारी, डा चौरसिया, ललित झा तथा राजकुमार गणेशन ने किया स्थल निरीक्षण, लिया स्वरोजगार देने का संकल्प*

*मशरूम 100% शुद्ध शाकाहारी, प्रोटीन युक्त, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थ- डा अंजू*

*प्रतिभा एवं कुंदन झा का यह सार्थक प्रयास न केवल सराहनीय बल्कि अनुकरणीय, ये दोनों महिलाओं एवं युवाओं के प्रेरणास्रोत- डा चौरसिया*

दरभंगा जिला के बिरौल प्रखंड के अंतर्गत मिर्जापुर गांव के निवासी प्रतिभा झा विगत 10 वर्षों से मुख्यत: मशरूम की खेती कर रही हैं तथा आसपास व दूर की हजारों महिलाओं को प्रशिक्षण भी दे चुकी हैं जो अपना स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर भी बन रही हैं। उन्होंने बताया कि मशरूम की खेती से घर बैठे, कम श्रम, अल्प पूंजी और कम जगह में पूरे वर्ष अधिक आमदनी की प्राप्ति की जा सकती है। इसके लिए बड़े खेत की नहीं, बल्कि बहुत ही कम जगह यथा- कमरा या फूस के घर में ही इसे आसानी से मशरूम उपजाया जा सकता है। उत्पादन हेतु गेहूं का भूसा युक्त एक बैग का खर्च ₹30 आता है, जबकि उससे आमदनी करीब ₹100 होते हैं। प्रतिभा झा ने बताया कि वे जगदंबा मशरूम फार्म के नाम से मशरूम के उत्पादन के साथ ही उसके बीज तैयारी तथा मशरूम के अनेक उत्पाद भी तैयार करती हैं। हमारे स्वास्थ्य के लिए बटन मशरूम की जगह मिल्की तथा ऑयस्टर मशरूम ज्यादा लाभदायक हैं। उनके करीब 5 एकड़ के आवासीय परिसर में मशरूम के साथ ही समेकित कृषि, मछली उत्पादन, जैविक अनाजों तथा फलों व सब्जियों की खेती की जाती है। उनके परिसर में बारहमासी सहजन, बड़े घौंद वाले स्वादिष्ट केले, विशेष आम- लीची सहित अनेक तरह के विशिष्ट पेड़- पौधे भी लगाए गए हैं।
दरभंगा शहर से विज्ञान- शिक्षिका डा अंजू कुमारी, संस्कृत के प्राध्यापक डा आर एन चौरसिया, प्रशिक्षक ललित कुमार झा तथा प्रभात दास फाउंडेशन के सक्रिय कार्यकर्ता राजकुमार गणेशन ने दरभंगा से 40 किलोमीटर दूर स्थित मिर्जापुर गांव जाकर मशरूम उत्पादनों की विधियां, उसके विविध उत्पादों, मशरूम के प्रकारों, मछली पालन, प्राकृतिक खाद की तैयारी, जैविक खेती, बिना रासायनिक उर्वरक के फलों- सब्जियों व अनाजों के उत्पादन आदि से संबंधित विस्तृत जानकारियां प्राप्त की।
डॉ अंजू कुमारी ने बताया कि मशरूम 100% शुद्ध शाकाहारी, प्रोटीन युक्त, अति स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणों से युक्त खाद्य पदार्थ है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, विटामिन तथा शारीरिक विकास को बढ़ाने वाले पदार्थ पाए जाते हैं। मशरूम हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखता है तथा शरीर के वजन को ही नियंत्रित करता है। इसे हमें दैनिक भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए।
सेवा संस्कृति के संस्थापक एवं सचिव सह उद्यमिता के प्रशिक्षक ललित कुमार झा ने बताया कि दरभंगा का लीड बैंक सेंट्रल बैंक है जो विशेषतः महिलाओं, युवाओं तथा दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को समुचित प्रशिक्षण दिलाकर 10 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर उन्हें स्वरोजगार युक्त करने का काम कर रहा है। इस तरह के ऋणों पर सरकार की ओर से 50% सब्सिडी भी दी जाती है, जबकि महिलाओं को कोई ब्याज नहीं लगता है, पर पुरुषों को मामूली ब्याज ही लगता है।
डा आर एन चौरसिया ने कहा कि प्रतिभा झा एवं कुंदन झा का यह सार्थक प्रयास न केवल सराहनीय बल्कि अनुकरणीय भी है। ये दोनों महिलाओं व युवाओं के बड़े प्रेरणा स्रोत हैं। हम अपने स्तर से इच्छुक युवाओं व महिलाओं को मशरूम उत्पादन, मछली पालन, मुर्गा व बत्तख पालन, नगदी फसल उत्पादन तथा उत्तम कोटि के फलों व सब्जियों के उत्पादन आदि के विशिष्ट प्रशिक्षण दिलवाने की कोशिश करूंगा, ताकि आसानी से वे कम पूंजी में भी स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर होकर राष्ट्र निर्माण में सहभागी बन सकें। उन्होंने प्रतिभा झा एवं कुंदन झा के आवासीय परिसर को आर्थिक, प्रशैक्षिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक स्थलों के संगम का प्रतीक बताया। जहां आकार न केवल शारीरिक व मानसिक, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त हो रही है।
वहीं राजकुमार गणेशन ने दरभंगा में मछली, बकरी और मुर्गा पालन आदि की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि इससे जरुरतमंद युवाओं को अधिक से अधिक स्वरोजगार प्राप्त होगा।