🟥संत कबीर नगर / दिनांक 17 मार्च
ऊर्जा मंत्री के साथ हुए समझौते को लागू कराने हेतु बिजली कर्मियों ने प्रान्तव्यापी कार्य बहिष्कार के क्रम में दिनांक 17 मार्च-23 को 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल के दूसरे दिन देश-भर में उप्र के बिजली कर्मियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है ।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों, अभियन्ताओं और निविदा/संविदा कर्मी कार्य बहिष्कार में सम्मिलित हैं । कार्य बहिष्कार आन्दोलन में लगभग 01 लाख बिजली कर्मी सम्मिलित हैं।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने मा. ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते के क्रियान्वयन हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री मा. श्री योगी आदित्यनाथ जी से प्रभावी हस्तक्षेप किये जाने की पुनः अपील है । संघर्ष समिति द्वारा जारी बयान में कहा गया कि मा. ऊर्जा मंत्री के साथ हुए लिखित समझौते को लागू करने की मांग में कुछ भी राजनीतिक नहीं है। यह बिजलीकर्मियों की नैसर्गिक न्याय की मांग है ।
03 दिसम्बर 2022 को हुए समझौते में मा. ऊर्जा मंत्री की ओर से 15 दिन का समय मांगा गया था, परन्तु 03 माह से भी अधिक दिन व्यतीत होने के उपरान्त भी अभी तक समझौते के प्रमुख बिन्दुओं के क्रियान्वयन की दिशा में कुछ भी कदम नहीं उठाया जा रहा है एवं ओबरा, अनपरा की 800-800 मेगा वाट की नई इकाईयां को उत्पादन निगम से छीन कर एन.टी.पी.सी. को दिये जाने, पारेषण के निजीकरण को रोकने व अन्य न्यायोचित मांगों के सार्थक समाधान किये जाने के उल्टे शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे बिजली कर्मियों को पुलिस उत्पीड़न की धमकी दी जा रही है। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की हठवादिता के चलते बिजली कर्मियों पर हड़ताल थोपी जा रही है ।
सहसंयोजक श्री सुनील प्रजापति द्वारा कर्मियों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि ऊर्जा निगम के चेयरमैन द्वारा संयुक्त संघर्ष समिति व सरकार के बीच हुए समझौते को लागू करने से इन्कार कर रहे हैं ऐसा प्रतीत होता है कि यह जानबूझकर सरकार व विद्युत कर्मियों की छवि धूमिल करना चाहते हैं और तानाशाही रैवेये के साथ बिजली कर्मियों के नैसर्गिक मांगो का दमन कर रहे हैं । श्री पंकज कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस प्रकार ऊर्जा प्रबन्धन द्वारा हमारी न्यायसंगत मांगो जिसपर 3 दिसम्बर 22 को समझौता हुआ था का क्रियान्वयन न कर कर्मियों को हड़ताल के लिए बाध्य करते हुए पूरे प्रदेश की जनता को बिजली संकट की ओर उन्मुख कर रहे हैं । श्री सुनील प्रजापति द्वारा सम्बोधन करते हुए कहा गया कि ऊर्जा निगमों में चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक, के पदों पर समुचित चयन के बाद ही नियुक्त की जाय, बिजली कर्मियों को पूर्व की तरह 09 वर्ष, 14 वर्ष एवं 19 वर्ष की सेवा के उपरान्त पदोन्नति पद का समयबद्ध वेतनमान दिया गया, बिजली कर्मियों के कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाय । ट्रांसफार्मर वर्कशॉप का निजीकरण एवं पारेषण विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन एवं अनुरक्षण के आउट सोर्सिंग के आदेश निरस्त किये जाय । समस्त कार्मिकों के लिए पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाय । बिजली कर्मियों की सुरक्षा हेतु प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाय । संविदा कर्मियों को नियमित किया जाय और बिजली कर्मियों की वेतन विसंगतियॉ को दूर किया जाय ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पंकज कुमार, अरुण गुप्ता, प्रेम प्रकाश वर्मा, लक्ष्मण मिश्र, रविकान्त, अवनीश कुमार, धनन्जय सिंह, भानुप्रताप, चंद्रभूषण, बेचन प्रसाद, सन्नी देवल प्रताप, राम करन, केल यादव, इन्द्रेश गुप्ता, गुलाब यादव, अजय कुमार, बृजेश गुप्ता, सुनील प्रजापति, आशीष कन्नौजिया, धीरेन्द्र नाथ, नारायन चन्द्र चौरसिया, हिफ्फ्ज़ुर्रहमान अंसारी, अभय प्रताप, शैलेन्द्र यादव, विशाल, अमरनाथ यादव, दिलीप सिंह, सुनील मौर्या,विभव रंजन, अमित सिंह, ओमहरी, राम तिलक,अमित मौर्या वीरेन्द्र सिंह, दिलशाद अहमद दिनेश चंद ने प्रदेश के मुख्यमंत्री मा. योगी आदित्यनाथ जी के प्रति पूरा सम्मान व निष्ठा व्यक्त करते हुए समझौते को लागू कराने हेतु प्रभावी हस्तक्षेप करने की पुनः अपील की है। उन्होंने कहा कि बिजली कर्मियों का उ्देश्य हड़ताल कदापि नहीं है, हड़ताल उन पर थोपी जा रही है। यदि समझौते का क्रियान्वयन व अन्य न्यायोचित मांगों के सार्थक समाधान हो जाये तो बिजली कर्मी पूरी निष्ठा से दिन-रात कार्य कर उप्र को बिजली आपूर्ति के मामले में शीर्ष दर्जा दिलाने में सक्षम हैं।