🔴वाराणसी मिर्ज़ामुराद। क्षेत्र के कल्लीपुर गांव में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र , द्वारा “ प्राकृतिक खेती से किसानों की आय दोगुनी” विषय पर आयोजित पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सफलता पूर्वक किया गया। कार्यक्रम का शुरुआत करते हुए केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र रघुवंशी ने उपस्थित समस्त किसानो का स्वागत करते हुए केंद्र से जुड़कर खेती बाड़ी में कृषि तकनीकी का समावेश करने की सलाह दी। डॉक्टर रघुवंशी ने कहा क़ि “करके सीखो एवं देख के विश्वास करो” के सिद्धांत पर चल रहे केंद्र द्वारा किसानो को खेती में विविधिकरण पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। इस अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर नवीन सिंह ने बताया देशी गाय के गोबर तथा गोमूत्र से बने बीजा मृत , जीवामृत घन जीवामृत द्वारा किस प्रकार मृदा में ह्यूमस की मात्रा को बड़ा कर पौधों को पूरे पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश तथा अन्य सूक्ष्म आसानी से उपलब्ध करा सकते हैं। प्राकृतिक खेती के द्वारा सूक्ष्म जीव, एन्जाइम्स, विटामिन तथा वृद्विवर्धक हार्मोन प्रचुर मात्रा मे बढ़ाए जा सकते हैं। प्राकृतिक खेती में देशी केंचुआ का बहुत महत्व है यह मृदा में ऑक्सीजन को पहुंचाता है तथा मृदा को उर्वरता को बढ़ाता है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव पौधों की वृद्धि पर पड़ता है। बीज प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक एवं विषय समन्वयक श्रीप्रकाश सिंह ने किसानो को सम्बोधित करते हुए प्राकृतिक खेती में उपयोग किए जाने वाले वीजामृत , जीवामृत, घन जीवामृत, अग्नियास्त्र, ब्रह्मास्त्र, आदि को बनाने की विधि पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया की यदि किसान प्राकृतिक खेती करता है तो उनके पौधों में तापमान के उतार चढ़ाव सहने की क्षमता अधिक हो जाती है तथा कार्बनिक पदार्थ मृदा में शीघ्रता से बढ़ने लगते है। इस कार्यक्रम में केंद्र वैज्ञानिक डॉक्टर अमितेश, डॉ राहुल सिंह,डॉक्टर प्रतीक्षा एवं डॉक्टर मनीष पांडेय ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर केंद्र के प्रक्षेत्र प्रबंधक राणा पीयूष सिंह, नागेंद्र, साहित लगभग 3 दर्जन से अधिक महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया।