*उज्जैन के महाकालेश्वर द्वादश लिंग के उपलिंग में सर्वप्रथम आते है दुग्धेश्वर नाथ*

✍️ विनय कुमार गुप्ता

🔴प्रतिनिधि रुद्रपुर देवरिया। गुरुवार से श्रावण मास आरंभ हो रहा है सभी शिवालयों में शिव भक्तों का जमावड़ा देखने को मिलेगा, लेकिन रुद्रपुर में स्वयंभू श्री दुग्धेश्वर मन्दिर पर श्रावण मास में एक महीने तक कावरियों का मेला लगेगा, बरहज बड़हलगंज से हजारो कावरियों का जत्था सरयू जल लेकर कावड़ यात्रा कर भगवान दुग्धेश्वर नाथ को चढ़ाएंगे। मान्यता हैं कि श्रद्धालु जन विशेष मन्नत पूर्ति के लिए कावड़ में सरयू जलभरकर भगवान का अभिषेक करते हैं। इसके साथ ही मन्दिर पर रुद्राभिषेक पूजन अर्चन भी महीने भर चलता है। भगवान श्री दुग्धेश्वर नाथ जी का वर्णन शिवपुराण स्कंद पुराणों में मिलता हैं दुग्धेश्वर नाथ जी उज्जैन के महाकालेश्वर के उपलिंगो में सर्वप्रथम आते है। यहा पर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी यात्रा कर अपने किताब में इस मंदिर का वर्णन किया हैं। मन्दिर का गर्भ गृह अर्घा जमीन से तकरीबन बीस फिट नीचे है जहाँ सीढ़ियों से नीचे उतर कर श्रद्धालु जन जलाभिषेक एवं दर्शन करते है। मन्दिर के अलावा भी दर्जनों अन्य मन्दिर तथा मन्दिर मन्दिर की साफ सफाई और सुरक्षा व्यवस्था बड़ी चुनौती हैं। मन्दिर पर ट्रस्ट या कमेटी का सामंजस्य ठीक नही हैं।
गुरुवार से शुरू हो रहे श्रवण मास में शायद ही कोई मंदिर या शिवालय होगा जहां शिव के जयकारे के नारे न गूंजते हों. आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है? क्‍या है सावन का शिव से क्या महत्व व कनेक्‍शन है, आइए जानें..
भगवान शिव जो को श्रावण मास का देवता कहा जाता हैं. पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं. भारत में पूरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं. अगर बात करें भोले भंडारी शिव शंकर दानी की तो श्रावण यानी सावन का महीना उन्‍हें बहुत प्रिय है. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन व्‍यतीत कीं.
पार्वती ने किया तप तो मिले शिव
इसके बाद उन्होंने हिमालय राजा के घर पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्‍या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत महत्त्वपूर्ण व प्रिय हैं।