✍️मेंहदावल संतकबीरनगर वासुदेव यादव की रिपोर्ट।

🟥संत कबीर नगर / विकास क्षेत्र बेलहर कला अंतर्गत ग्राम पंचायत कुशहरा के प्राथमिक विद्यालय एवं जूनियर स्कूल का छत जर्जर होने की वजह से मामूली बारिश में भी छत टपकने लगता है। इस विद्यालय में कुल 218 बच्चों का नामांकन हुआ है जिसमें से 140 बच्चों की उपस्थिति बताया गया। विद्यालय के प्रधानाध्यापक कक्ष में सभी पुस्तकें बिखरे पड़े हुए हैं बावजूद स्कूली बच्चों को अभी तक किताबें उपलब्ध नहीं करवाया गया। बिना किताब के सरकारी विद्यालय में पढ़ रहे इन गरीबों के बच्चों को कैसे पढ़ाया जाता होगा,बिना किताब के ये बच्चे कौन सी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं? आखिर बिना किताब के पढ़ रहे नौनिहाल बच्चे आगे चलकर क्या बनेंगे? विद्यालय में बने कमरें तथा कमरें में बना ब्लैक बोर्ड तो दिखाई दे रहा है लेकिन बच्चों की जगह यहां अध्यापकों की गाड़ियों की पार्किंग की जाती है, जहां गरीबों की बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए वहां अमीरों के गाड़ियों की पार्किंग होती है। स्कूल में लगे पानी पीने का टोटी काफी दिनों से टूटा हुआ है तथा बाउंड्री वाल भी गिर गया है। इस तरह से विद्यालय में अनेकों संसाधनों का अभाव है। जिस पर किसी जिम्मेदार अधिकारी का ध्यान नहीं पड़ रहा है। जानकारों की माने तो अगर इन सरकारी विद्यालयों में अगर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के बच्चे पढ़ते तो इसकी सूरत आज कुछ और देखने को मिलती। लेकिन अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के बच्चे तो बड़े-बड़े विद्यालयों में पढ़ते हैं इसलिए अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि इन सरकारी विद्यालयों पर ध्यान नहीं देंते। जबकि सरकार हर साल सरकारी विद्यालयों पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है सरकार की तरफ से रुपए आते तो हैं लेकिन इसका इस्तेमाल सही जगह पर नहीं किया जाता।