🛑उमानाथ यादव

🟥रायबरेली- कार्तिक मास की करवा चौथ पर्व के शुभ अवसर पर महिलाओं ने निर्जल व्रत रहकर अपने पति की लंबी आयु की कामना का संकल्प लिया और वैदिक पुराण के कथन के अनुसार बताते हैं कि एक बार माता पार्वती जी ने अपने पति भोलेनाथ शिव शंकर को खुश करने के लिए कार्तिक मास की चौथ पर्व के दिन करवा को सजाकर और उनके नाम का निर्जल रूप से व्रत रहकर कुछ भी खाया पिया नहीं था

और शाम को उनकी पूजन अर्चन किया इसी तरह से मां गंगा गोकर्णनाथ सीमित के सचिव जितेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि महिलाओं के द्वारा सुहाग से 16 सिंगार करती हैं और नए वस्त्र धारण कर चंद्रोदय की समय चंद्रमा को अपना साक्षी पति मानकर उनको पूजा दर्शन होती है बताते हैं कि कार्तिक मास में भगवान कार्तिकेय माता लक्ष्मी माता पार्वती जी भगवान शिव जी एवं उनके पुत्र गणेश जी का पृथ्वी पर वास होता है

और उनकी कृपा दृष्टि इस व्रत के रहने वाली महिलाओं पर सदैव बनी रहती है भगवान लक्ष्मी गणेश शंकर जी भगवान कार्तिकेय की मूर्तियों को सामने रखकर लोटे में शुद्ध जल लेकर उन्हें स्नान करती हैं और चंद्रमा के सामने चलनी के द्वारा दीपक के द्वारा पूजा किया जाता है इस प्रकार से तमाम महिलाएं अपने पतियों को चलनी के अर्थ के द्वारा देखते हैं और उनके पति पानी पिलाकर उनका व्रत करवाते हैं और अपनी पत्नियों की सुख समृद्धि और रक्षा की वचन देते हैं इस पर्व को लेकर महिलाएं लगभग 1 सप्ताह से तैयारी करती हैं जो अपने घरों की साफ सफाई एवं अन्य वस्तुओं बिखरे सामान को एकत्रित एक स्थान रखा जाता है और शुद्ध शाकाहारी भोजन मीठा व अन्य वस्तुओं की पूजन अर्चन करने के बाद सा परिवार प्रसाद का वितरण किया जाता है

इस पर्व को लेकर दुकानदारों में भी मिठाई गट्टा चिरैया चंदिया सहित अन्य वस्तुओं की बिक्री भी की जाती रहती है