तौफ़ीक़ खान की रिपोर्टजनपद वारणासी नदेसर मे
सीरत सल्लल्लाहो ताला वाले वसल्लम कमेटी के तत्वधान में ऑल इंडिया नातिया मुशायरा वाह नवाए गफ्फार अवार्ड वीर अब्दुल हमीद के पुत्र को दिया गया। उनके हाथों से कई मेहमानों को भी अवार्ड पेश किया गया।वही दिन में कस्बे के नौनिहालों बच्चों का जी०के कंपटीशन हुआ।जिसमें मेडल और शील्ड देकर सम्मानित किया गया बच्चों के उर्जा व उत्साह को बढ़ाया गया। नातिया मुशायरा में आए काशी हिंदू विश्वविद्यालय संबंधित डीएवी पीजी कॉलेज के मनोविज्ञान के प्रोफेसर डॉक्टर कमालुद्दीन साहब की सदारत में एक से एक नातिया पाक पेश हुआ वही जौनपुर से चलकर के आए राविश जौनपुरी,असदउल्लाह आजमी, जुनेद कबीर, डॉक्टर साद मशरीकी, जमजम राम नगरी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के उर्दू शोभा के प्रोफेसर डॉ एहसान अहमद व मानव रक्त फाउंडेशन के संस्थापक एडवोकेट अबू हासिम और सीरत कमेटी के मेंबर मोहम्मद अली, सैफी, गोलू, हाफिज बाकर,सादिक उर्फ बाबू भाई, अकीब जावेद, कमर्जिया,मुस्तकीम्, दिनेश पंडित, तमाम नौजवान साथी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम रहे।वीर अब्दुल हमीद ट्रस्ट के रिजवांन अंसारी उपाध्यक्ष व ट्रस्टी भी मौके पर उपस्थित रहे।
डॉक्टर एहसान अहमद ने कहा कि इस मंच का उद्देश्य यही है समाज में सबसे अहम प्राथमिकता शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए शिक्षा से ही सब कुछ है। आज के वक्त में हमारे नौजवान, बहनों को शिक्षा में प्रथम महत्व दिया जाए।अपने 1 दिन की आर्थिक कमाई का आधा हिस्सा खर्च शिक्षा में खर्च करे।
👉🏻वही मुख्य अतिथि जमील अहमद ने कहा जब हमारी दादी रसूलन बीबी इस दुनिया में थी बहुत ज्यादा शिक्षित तो नहीं थी लेकिन उनके साथ रहकर मुझे यह सीख मिला कि वह समाज के लिए हर वक्त शिक्षा के लिये दूर-दूर तक जाया करती थी। शिक्षा को किस तरीके से प्राथमिकता महत्व बताया जाए यह बहुत ही चिंता का विषय है। क्योंकि शिक्षा हमारे मोवासरे मे बहुत दूर चला जा रहा है। हमें अपने बच्चों को पढ़ने के लिए दूर-दूर भी भेजा जाए।आज इस कार्यक्रम में आकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य ही है शिक्षा प्यार मोहब्बत को बढ़ावा देना।
वही मानव रक्त फाउंडेशन के कहा संस्थापक एड अबू हासिम ने कहा मरहूम गफ्फार हुसैन याद करते हुए किरादेअकीदत पेश करता हूं। जब आप इस दुनिया में थे हैं सीरत कमेटी बनाने का उद्देश्य ही था कि हमारे आवाम को शिक्षा से जोड़ा जाए उसे सरकारी सुविधाओं से अवगत कराया जाए और उन्हें मजबूती मिले गफ्फार साहब का कहना था एक रोटी कम खाओ लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाओ उन्हीं के द्वारा इस कमेटी का शुरुआत की गई थी जो आज उनके पुत्र अब्दुल्ला गफ्फार ने बहुत ही अदब के साथ इस कमेटी को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।