✍️मकसूद अहमद भोपतपुरी की रिपोर्ट

🔴भाटपार रानी,देवरिया।दो वर्षों बाद मुहर्रम के मौके पर उत्साह देखने को मिला।वहीं तमाम जगहों पर मेले भी लगे।गांवों से लेकर कस्बे तक ताजिया के साथ जुलूस निकाला गया।या हसन,या हुसैन के नारों से फिजा गूंज उठा।बता दें कि पिछले वर्ष 2020 व 2021 में कोरोना के बढ़ते हुए प्रकोप के कारण मुहर्रम का मेला नहीं लग सका था।उस दौरान कोई चहल -पहल नहीं देखी गई थी।यह पर्व महज रश्म अदायगी तक सिमट कर रह गया था।लेकिन इस वर्ष मंगलवार को जगह-जगह ताजिए का मिलान हुआ।मेले लगे व लाठी,डण्डा, बाना,बनैठी का खेल भी हुआ।इस दौरान तमाम गांवों में हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लड़के व लड़कियां हादरा-हुदरी भी बने।इस पर्व को लेकर छोटे बच्चों में विशेष उत्साह देखा गया।वहीं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर जगह पुलिस भी तैनात रही।भाटपार रानी कस्बा सहित क्षेत्र के रामपुर बुजुर्ग, सोहनपुर, बनकटा,इंगुरी सराय, दास नरहियाँ, प्रतापपुर, भवानी छापर,हाता, चकिया कोठी,भिंगारी बाजार,खामपार,सरयां,घांटी बाजार,बलुआ अफगान,दिसतौली,बंगरा बाजार,सिकटिया बाजार,बखरी बाजार,ततायर,भठवा तिवारी,बहोरवा,मेहरौना, पीपरहिया,पिपरा बघेल,खेमीपुर, भोपतपुरा, करजनिया,निशनिया पैकौली,जमनटोला,बंगरुआ, रहीमपुर,कड़सरवा बुजुर्ग, गौतमा, नोनार कपरदार, बड़हरिया,छपिया मिश्र,परोहा,सिरसिया बाबू आदि सैकड़ों गांवों में ताजिया का निर्माण किया गया।वहीं तमाम चौराहों पर मेला भी लगा।

आकर्षण का केंद्र रही तिरंगा कलर की ताजिया
मंगलवार को मुहर्रम के मौके पर भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के सिरसिया बाबू व कड़सरवा बुजुर्ग में बने तिरंगा कलर की ताजिया आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा।केशरिया,सफेद व हरे रंग से निर्मित ये ताजिए बरबस सबका ध्यान अपनी तरफ खींच ले रहा था।ग्रामीणों ने कहा कि इन ताजिए को देखकर हमें अपना तिरंगा झंडा की याद आ जा रहा है।