*गैर जनपदों में दुर्गा प्रतिमा की मेहदावल से है मांग*

⭕राम बेलास प्रजापति

🟥मेहदावल/संत कबीर नगर। नवरात्र का पर्व करीब है। वही मेहदावल नगर में स्थित मूर्तिकार पितृपक्ष से पूर्व ही दुर्गा प्रतिमा बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं। यहां के मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्ति का खुद के जनपद के अलावा अन्य जनपदों में भी अच्छी खासी मांग है। वर्तमान समय में मूर्तिकार दुर्गा प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं।
मेहदावल नगर व इसके अगल-बगल के क्षेत्र में करीब 2 किलोमीटर की परिधि में कुल 20 मूर्तिकार हैं। जिनकी रोजी-रोटी वर्ष में पढडने वाले आप पर प्रतिमा बनाने से जुड़ी हुई है। इसी से उनके परिवार का जीकोपार्जन चलता है। मेहदावल नगर पंचायत के मुहल्ला पुरवा वार्ड निवासी राम

 

 

बेलास प्रजापति क्षेत्र के जाने-माने मूर्तिकार है। उनके हाथों बनाई गई प्रतिमा की मांग दूर-दूर तक है। बातचीत में इन्होंने बताया कि यहां की बनी दुर्गा प्रतिमा की मांग गैर जनपदों में खूब है। संत कबीर नगर के साथ ही गोरखपुर ,बस्ती, महाराजगंज ,सिद्धार्थ नगर जनपदों में मूर्ति जाती है। नवरात्र पर्व से 3 महीना पहले ही लोग मूर्ति बनाने के लिए ऑर्डर देना शुरू कर देते हैं आर्डर के अलावा भी हम लोग मूर्ति बनाते हैं। लेकिन महंगाई चरम पर है मिट्टी बांस पुआल रंग व लकड़ी की कीमत बढ़ गई है ऐसे में मेहनत की अपेक्षा मूर्ति की कीमत वह नहीं मिल पाती जिसकी अपेक्षा मूर्तिकार रखता है। इसके कारण बाहर जाकर मजदूरी भी करनी पड़ती है। दिल्ली,महाराष्ट्र,
गुजरात में जाकर प्रतिमा बनाने का कार्य करता हूं नवरात्र पर्व से पहले यहां आ जाता हूं। वही मूर्तिकार राम रतन प्रजापति ने बताया कि मूर्ति बनाने के लिए काली मिट्टी की आवश्यकता होती है जो 3500 से 4000 रुपए ट्रॉली आती है। जबकि पीली मिट्टी ₹2000 ट्राली है। पुआल की कीमत भी मूर्ति कारों के लिए बढ़ जाती है यह भी ₹3000 ट्राली मिलती है। बास की कीमत भी चरम पर है एक बस की कीमत 180 रुपए से ₹280 तक पड़ता है। नकाशी के साथ दुर्गा प्रतिमा बनाई जाती है जिसकी ऊंचाई 7 फिट होती है वह 17 से 18 हजार रुपए में बिकता है जबकि बिना नक्काशी के सादी प्रतिमा की कीमत 7 से ₹8000 ही मिल पाती है। नक्काशी के साथ प्रतिमा बनाने में 10 से 12 दिन लगते हैं जबकि शादी प्रतिमा बनाने में तीन से चार दिन लगता है। दुर्गा प्रतिमा के साथ ही गणेश की प्रतिमा और दीपावली पर्व पर लक्ष्मी जी की मूर्ति बनाने का कार्य भी हम लोग करते हैं। यह पुश्तैनी रोजी-रोटी से जुड़ा कारोबार लेकिन सरकार द्वारा इस काम में लगे मूर्तिकारों के विकास की कोई योजना नहीं जमीन पर दिखाई देती है। ऊपर से प्रशासनिक दबाव भी रहता है हर मूर्ति बेचने वी खरीदने पर पूरा लेखा-जोखा रखना पड़ता है जो स्थानीय थाने को उपलब्ध कराया जाता है। इस कारोबार में समस्याएं बहुत हैं लेकिन सरकार का सहयोग नहीं है जिसका नतीजा है कि आज भी इस समाज के लोग विकास की मुख्य धारा से नहीं जुड़ पा रहे हैं।

गणेश चित्र मंदिर मूर्ति कला केंद्र के मूर्तिकार राजेंद्र छोटेलाल ने बताया कि हमारे द्वारा बनाई गई मूर्तियों गैर जनपदों में मांग है ऑर्डर पर ही मूर्तियां बनाई जाती हैं हमारे बाहर प्रकार के मुर्तिया बनाई जाती है जैसे, मिट्टी,सीमेंट पी.ओ .पी ,फाइबर, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर भगवान बुद्ध जी की मूर्तियां बनाई जाती है।
श्री महाकाल सुपर फास्ट मूर्ति कला केंद्र के मूर्तिकार सूरज और सनी ने बताया कि मंहगाई के हिसाब से मूर्ति की कीमत नहीं मिल पा रही है जिसके वजह से पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष 15 मूर्ति कम बनाई गई है पिछले साल 2022 में लगभग कुल 40 मूर्तियां मेरे पंडाल में मनाई गई थी लेकिन महंगाई क्के हिसाब से मूर्ति की कीमत ना मिलने से इस बार 25 मूर्ति बनाई गई हैं। संदीप हिमांशु बहादुर जितेंद्र यादि लोग मूर्ति का कार्य कर रहे है।