दुनिया का सबसे पहला योग विश्विद्यालय बना मुंगेर

1963 में सत्यानंद सरस्वती ने की थी स्थापना

योगाचार्य, योग शिक्षक बनने के लिए चतुर्मासिक सत्र का होता है संचालन

राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद य दो बार चुके है यहां

स्वामी सत्यानंद ने लिखीं 300 पुस्तकें

50,000 से अधिक योग प्रशिक्षक के विभिन्न देशों में जगा रहे है योग का अलख

 

✍️ डॉ शशि कांत सुमन

🔴मुंगेर । पूरे विश्व में आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर देश-प्रदेश में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। योग दिवस के अवसर पर योग की अद्भुत छटा देखने को मिली। जहां विधायक से लेकर अधिकारी और अधिकारी से लेकर आम नागरिक तक आज योग करते दिखे। बता दें कि विश्व में योग नगरी के नाम से प्रसिद्ध मुंगेर आज विश्व योग दिवस सेलिब्रेट कर रहा है। इसको लेकर बिहार स्कूल ऑफ योगा, जिला प्रशासन, मुंगेर यूनिवर्सिटी, जिला स्वास्थ्य विभाग के अलावा कई संस्थान के द्वारा आज योग दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
योग आश्रम के पादुका दर्शन में भी योग दिवस को सादे समारोह में सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस मौके पर आप भी जाने दुनिया के पहला योग विश्वविद्यालय मुंगेर के बारे में। सनातन से बिहार ज्ञान की धरती मानी गयी है। ऐसे में पहला योग विश्वविद्यालय होने का गौरव भी बिहार के मुंगेर स्थित योग आश्रम को प्राप्त है। यहां से शिक्षा लेकर हर साल सैकड़ों योग साधक दुनिया भर में योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। मुंगेर जिले को योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है।

वर्तमान में संचालित होता योगाश्रम
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दुनिया का पहला योग विश्वविद्यालय मुंगेर में है ।यहां पर मुंगेर योगाश्रम संचालित हो रहा है। इसे बिहार योग विद्यालय यानि बिहार स्कूल ऑफ योगा के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना 1963 में सत्यानंद सरस्वती ने की थी। योगाचार्य, योग शिक्षक बनने के लिए यहां चतुर्मासिक सत्र का संचालन होता है।

दो बार मुंगेर विश्वविद्यालय आये हैं राष्ट्रपति :
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देश के पूर्व राष्ट्रपति रहे डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आजाद यहां दो बार आए थे। पहली बार वे 2004 में यहां आए थे। तब उन्होंने इस शहर को योग नगरी का नाम दिया था। उनके अलावे देश के कई प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री यहां आ चुके हैं। फिल्म आशिकी की अभिनेत्री अन्नू अग्रवाल समेत कई फिल्मी हस्तियां भी आ चुकी हैं।
इस तरह से लोग योग आश्रम में भाग लेते हैं।

उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थापित योग आश्रम :
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मुंगेर योग आश्रम उत्तरवाहिनी गंगा तट कस्टहरनी घाट के सामने स्थित है. योग आश्रम को गंगा दर्शन के नाम से भी जाना जाता है।योग आश्रम की छत पर जाने के बाद तीनों ओर गंगा नजर आती है। इस योगाश्रम के बारे में बताया जाता है कि यहां से ज्ञान लेकर निकलने वाले लगभग 50,000 से अधिक योग प्रशिक्षक के तौर पर भारत के अलावा विभिन्न देशों में योग का अलख जगा रहे हैं।

1963 में हुई थी स्थापना :
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मुंगेर योगाश्रम की स्थापना साल 1963 में स्वामी सत्यानन्द ने योग के प्रचार प्रसार के लिए की थी। आज इसकी शाखाएं विश्व के सौ से अधिक देशों में हैं। मुंगेर योगाश्रम की स्थापना के समय सत्यानन्द ने कहा था योग भविष्य की संस्कृति बनेगी। सत्यानन्द हिमाचल प्रदेश के अल्मोड़ा के रहने वाले थे।
बिहार स्कूल ऑफ योग
बिहार स्कूल ऑफ योगयोग विश्वविद्यालय के इतिहास को जानिए :

1983 में बिहार योग विद्यालय की जिम्मेदारी स्वामी निरंजनानंद को सौंपी गयी। बिहार योग विद्यालय सांख्य, पातजंल और गीता के योग दर्शन पर आधारित यह संस्थान विज्ञान, चिकित्सा और मनोविज्ञान का समन्वय कर आज योग की व्यवहारिक शिक्षा दे रहा है।

स्वामी सत्यानंद ने लिखीं 300 पुस्तकें :
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स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने योग सिखाने के लिए 300 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। इन पुस्तकों में योग के सिद्धांत कम और प्रयोग अधिक है। योग आश्रम से प्रशिक्षित लगभग 50,000 से अधिक प्रशिक्षक भारत के अलावा विभिन्न देशों में कार्यरत हैं। जहां वे योग की शिक्षा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

बाल योग मित्र मंडल भी है पहचान :
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बिहार योग विद्यालय की अहम कमान बाल योग मित्र मंडल ने संभाल रखा है। बाल योग मित्र मंडल की लोकप्रियता इस कदर बढ़ी है कि मुंगेर में ही इसके 10,000 से अधिक सदस्य हैं। देश भर में एक लाख चालीस हजार बाल योगी हैं। जो योग के द्वारा बच्चों को संस्कार देकर योग प्रशिक्षक बना रहे हैं। बिहार विद्यालय की ओर से अब तक तीन बार विश्व योग सम्मेलन का आयोजन किया गया है।

आश्रम के नियम
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योग आश्रम में असाध्य रोगों का इलाज करवाने के लिए आए लोगों का योग साधक इलाज करते हैं। योग साधक यहां रहकर शिक्षा ग्रहण करते हैं।
इन्हें यहां काफी कठिन नियमों से गुजरना होता है। आश्रम की दिनचर्या सुबह 4:00 बजे से शुरू होती है। उसके बाद निर्धारित समय और नियम के अनुसार योग की कक्षाएं दिनभर संचालित होती हैं। संध्या 8:00 बजे आवासीय परिसर बंद हो जाता है और आश्रम के लाइट बंद कर दिए जाते हैं। यहां शुद्ध सात्विक भोजन ही कर सकते हैं। बाहर से किसी भी तरह का भोजन अंदर नहीं लाया जा सकता है। बड़े से बड़े लोग भी आश्रम का ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। खास आयोजनों पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप और हनुमान चालीसा का पाठ भी किया जाता है।श्रावण माह और बसंत पंचमी यहां काफी धूमधाम से मनायी जाती है।