✍️सत्येंद्र यादव

⭕गोवर्धन – उत्तर भारत से प्रत्यक्ष जागृत देव गिरी गोवर्धन पर्वत स्थित दानघाटी मन्दिर पर श्री गिर्राज सेवक समिति दानघाटी मन्दिर के सेवायतों के आपसी विवाद के चलते वर्ष 1999 से श्री गिर्राज सेवक समिति द्वारा सचिव बनाम छः प्रति वादियों का एक मुकद्दमा विचाराधीन है जो कि उस समय पर सिर्फ यह कहते हुए दायर हुआ था कि श्री गिर्राज सेवक समिति की कार्यकारणी और पदाधिकारियों का नवीन कमेटी द्वारा चुनाव किया गया और जिन छः सदस्यों को बहार निकाल दिया गया और उनको श्री गिर्राज सेवक समिति के द्वारा किए गए कार्यों और मंदिर प्रबंध व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से रोकने हेतू आदेश पारित कर की मांग कि गई थी। विदित हो कि उक्त कार्यकारणी का कार्यकाल तीन वर्ष का था तत्पश्यात पुन चुनाव होने थे लेकिन उक्त वाद के चलते चौबीस वर्षो से चुनाव अधर में लटके हुए हैं और मंदिर में व्यवस्था ध्वस्त होती चली आई है और इसी दरम्यान फूट में लूट के चलते करोड़ों रुपए का गबन भी हो चुका है और पूर्व सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी वर्ष 2019 से जेल में बंद हैं। उक्त वाद दायर होने पर सर्व प्रथम रेलवे मजिस्ट्रेट राजेश सिंह दानघाटी मन्दिर व्यव्स्था हेतू रिसीवर नियुक्त हुए उनके स्थानांतरण उपरांत द बृज फाउंडेशन के विनीत नारायण रिसीवर नियुक्त हुए जिन पर छत्र कांड जैसे आरोप प्रत्यारोप लगे तो वह त्याग पत्र प्रस्तुत कर अलविदा कह गए। इसी दौरान प्रबंधक राधाचरण कौशिक और सहायक प्रबंधक डालचंद चौधरी नियुक्त हो गए और सम्पूर्ण दायित्व प्रबंधक राधाचरण कौशिक को प्राप्त हो गया और उन्होंने सख्ती बरतना शुरु किया और बिना कोई घोटाले कार्य किया तो लालची लंगूरों की फौज ने साजिश रची और गिरधारी गोवर्धन नामक एक फोटू स्टेट शिकायती पत्र प्रस्तुत किया और तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा राधाचरण कौशिक को पद मुक्त कर संपूर्ण अधिकार दे कर सहायक प्रबंधक को मंदिर की कमान सौंप दी और परिणामस्वरूप करोड़ों रुपए का गबन घोटाला सामने निकल कर बहार आया और डालचंद चौधरी 2019 से जेल में बंद हैं और उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका निरस्त कर दी गई है। तब से मंदिर प्रबंध व्यवस्था ध्वस्त होती चली आ रही है विगत जनवरी में एक और नटवर लाल के अनुयाई दिल्ली के पते का आधार कार्ड पर दानघाटी मन्दिर व्यव्स्था हेतू प्रबंधक के पद पर आसीन हो आ गए और लाखों रुपए की हेर फेर कर डाली मामला मीडिया में सुर्खियां में आया और मूल पत्रावली पर शिकायत की गई तो त्याग पत्र प्रस्तुत कर भाग निकलने। अब वर्तमान परिपेक्ष्य में पीठासीन अधिकारी द्वारा पुन एक सात सदस्यीय समिति गठित कर संपूर्ण अधिकार दे कर दानघाटी मन्दिर व्यव्स्था हेतू तैनात किया गया तो डालचंद चौधरी वाले विचाराधीन वाद में गवाहों को प्रभावित करने के उद्देश्य से चार कर्मचारियों को बहार निकाल दिया गया है। उक्त कमेटी को सिर्फ येन केन प्रक्रेण अपने हितों से मतलब है मंदिर या मंदिर से जुड़े सेवाधिकारियों से कोई सरोकार नहीं है। उक्त कमेटी को वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन , अंश दान, छात्र वृत्ति जो दानघाटी मन्दिर से सेवायतों को मिलती चली आ रही थी उनको सुचारू रूप से क्रियान्वित करने से कोई मतलब नहीं है अपितु मतलब है तो गिरी गोवर्धन धाम स्थित दानघाटी मन्दिर में इंद्रदेव की मूर्ति स्थापित करा इंद्रदेव को गिर्राज जी से महान दर्शना और उसके पीछे छिपा है कि कैसे भ्रष्टाचार कर जेबें भरना है। दानघाटी मन्दिर में श्री गिर्राज पर्वत को तर्जनी उंगली पर उठाए श्री कृष्ण की मूर्ति और उस पर गायों की मूर्ति आदि जर्जर हालत में है उनके सुधार हेतु कोई योजना नहीं है। उक्त कमेटी के भ्रष्टाचारों को लेकर अधिवक्ता हेमन्त शर्मा द्वारा मां उच्च न्यायालय में एक याचिका संख्या 6659 सन 2023 प्रस्तुत करते हुए उक्त कमेटी को भंग करने की मांग की गई है। वही दूसरी तरफ उक्त कमेटी के एक सदस्य बृज बिहारी सिंह पूर्व अमीन जो अब एक विशेष न्यायाधीश बन कर मथुरा न्यायालय में पद भार गृहण कर चुके हैं और उन्होंने अपना त्याग पत्र पीठासीन अधिकारी को प्रस्तुत कर दिया है इसलिए उक्त कमेटी द्वारा लिया गया कोई भी निर्णय वैधानिक रूप से मान्य नहीं हो सकता है तो पाठको वजाओ ताली क्योंकि होने वाली है लूट की मारा मारी। अधिवक्ता हेमन्त शर्मा द्वारा प्रस्तुत याचिका का क्या वही मतलब है जो एक तरफा दिखाई दे रहा है या फिर सिक्के के दूसरे पहलू में ये सिर्फ योजनाबद्ध तरीके से धनोपार्जन हेतू नूरा कुश्ती चल रही है अब सच क्या है ये आने वाला समय ही बताएगा।