दरभंगा बिहार

सीएम कॉलेज के स्थापना दिवस समारोह-2021 के सुअवसर पर संस्कृत विभाग द्वारा राष्ट्रीय वेबीनार आयोजित

“संस्कृत साहित्य में वर्णित राष्ट्रीय भावना” विषयक ऑनलाइन कार्यक्रम में जुड़े 145 से अधिक विद्वान् शिक्षक व छात्र-छात्राएं

यदि राजा आत्मशासन में रहकर राष्ट्र का सम्यक् संचालन करें तो राष्ट्र समृद्ध व मजबूत होगा- प्रो देवनारायण

भेदभाव का समूल नष्टकर मन,वचन व कर्म में एकरूपता लाकर राष्ट्रीय भावना का करें विकास- प्रो विश्वनाथ

वैदिक साहित्य के आदर्श राष्ट्रीय भाव का आधुनिक संस्कृत-साहित्य में हुआ व्यावहारिक रूप से प्रकट- डॉ मैत्रेयी

चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के माध्यम से केंद्रीयकृत शासनव्यवस्था तथा शक्तिशाली राष्ट्र की की स्थापना- प्रो जीवानंद
वैदिक साहित्य समस्त ज्ञान-विज्ञान का अक्षय भंडार है, जिससे सभी प्रकार की ज्ञान- धाराएं प्रवाहित हुई हैं। वेदों में राष्ट्र की उदात्त भावनाएं व्यक्त की गई हैं। यदि राजा आत्मशासन में रहकर राष्ट्र का सम्यक् संचालन करें तो राष्ट्र समृद्ध और मजबूत होगा। उक्त बातें संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो देवनारायण झा ने सी एम कॉलेज,दरभंगा के स्थापना दिवस समारोह-2021 के सुअवसर पर महाविद्यालय के संस्कृत विभाग के तत्वावधान में “संस्कृत साहित्य में वर्णित राष्ट्रीय भावना” विषयक राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य अतिथि के रूप में कहा। उन्होंने कहा कि राजा राष्ट्र के स्वामी, प्रजा के पिता तथा आमलोगों के रक्षक होते हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में कमला नेहरु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली की संस्कृत विभाग की प्राध्यापिका डा मैत्रेयी कुमारी ने कहा कि वैदिक साहित्य के आदर्श राष्ट्रीय भावना आधुनिक संस्कृत साहित्य में व्यावहारिक रूप में प्रकट हुआ है। उन्होंने भारत को मानवता का देश बताते हुए कहा कि राष्ट्र आपसी प्रेमभाव,सहयोग तथा विश्वास से समृद्ध बनता है। संस्कृत साहित्य हमें ‘सर्वे भवन्ति सुखिनः’ तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का पाठ पढ़ाता है।
अध्यक्षीय संबोधन में प्रधानाचार्य प्रो विश्वनाथ झा ने कहा कि सभी भेदभावों का समूल नष्टकर मन, वचन और कर्म में एकरूपता लाकर ही हम राष्ट्रीय भावना को विकसित कर सकते हैं। उन्होंने संस्कृत साहित्य को ज्ञान का भंडार कहा, जिसे अपने जीवन में अपनाने की जरूरत पर बल दिया। भारतीय समाज एवं संस्कृति समन्वयवादी है।
वेबीनार का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो जीवानंद झा ने कहा कि चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के माध्यम से केंद्रीकृत शासन- व्यवस्था तथा शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना की थी। देश की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति हमारी राष्ट्रीय भावना पर निर्भर करती है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली के संस्कृत- प्राध्यापक डा राजेंद्र कुमार ने कहा कि वेबीनार का विषय अत्यंत ही विस्तृत एवं उपयोगी है। साहित्य में हर विचारधाराओं को अत्यंत ही सम्मान दिया गया है।
विषय प्रवर्तक के रूप में मारवाड़ी महाविद्यालय,दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह ने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। यहां के सभी वर्ग व धर्म का राष्ट्रनिर्माण में अमूल्य योगदान रहा है।
कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथि स्वागत संस्कृत विभागाध्यक्ष व वेबीनार के संयोजक डा आर एन चौरसिया ने किया,जबकि धन्यवाद ज्ञापन इग्नू के सहायक समन्वयक डा शिशिर कुमार झा ने किया। वेबीनार में जामिया मिल्लिया इस्लामिया केंद्रीय विश्वविद्यालय, दिल्ली से प्रो जयप्रकाश नारायण, असम से प्रो मृणाल कांति सरकार, जीडी कॉलेज, बेगूसराय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डा शशिकांत पांडे, यूपी से डा सीता कुमारी, डा विनीता कुमारी, डा वीरेंद्र कुमार झा, डा शंभू मंडल,डा संजीत कुमार झा, डा पूनम कुमारी, मोमित लाल,डा सरिता कुमरी, डा अनीता गुप्ता, डा बंदना, डा ममता सिंह, डा त्रिलोकनाथ, शांभवी तानिया,डा नीलमणि झा, डा वैद्यनाथ ठाकुर, डा विश्वंभर प्रसाद सहित 145 से अधिक संस्कृत शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।[videopack id=”11937″]https://newsamacharplus.com/wp-content/uploads/2021/07/VID-20210726-WA0008.mp4[/videopack]