🟥लखनऊ

*दागियों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती नहीं,*
*एक हफ्ते में स्वत: हो जाएंगे कार्यमुक्त*

स्थानांतरण सत्र में स्थानांतरित होने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को तबादला रुकवाने के लिए जुगाड़ लगाना भारी पड़ सकता है,
वेतन रोकने के साथ निलंबन तक के कार्रवाई की बात की जा रही हैं.
स्थानांतरित होने वालों को एक सप्ताह में स्वत: कार्यमुक्त मान लिया जाएगा.
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बुधवार को तबादला नीति संबंधी शासनादेश जारी कर दिया है.
इसके साथ ही विभागाध्यक्षों को तबादले का अधिकार मिल गया है, वे मंत्रियों के माध्यम से 30 जून तक तबादला कर सकेंगे.
इसके बाद मुख्यमंत्री की अनुमति पर तबादले होंगे.
शासनादेश के मुताबिक, संदिग्ध व सत्यनिष्ठा वाले अधिकारियों व कर्मियों को महत्वपूर्ण और संवंदेनशील पदों पर तैनात नहीं किया जाएगा,
स्थानांतरित होने वालों को रोकने के लिए प्रत्यावेदन आगे बढ़ाने पर रोक लगा दी गई है.
ऐसा करने पर कर्मियों के खिलाफ कर्मचारी आचरण नियमावली के आधार पर कार्रवाई की जाएगी.
समूह ‘क के अधिकारियों को उनके गृह मंडल में तैनात नहीं किया जाएगा.
समूह ‘ख के अधिकारियों को उनके गृह जिले में तैनाती नहीं दी जाएगी,
यह प्रतिबंध केवल जनपद स्तरीय विभागों व कार्यालयों पर लागू होंगे.
केंद्र सरकार द्वारा घोषित आकांक्षी जिलों चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती व बहराइच तथा प्रदेश के 100 ऐसे विकासखंडों में दो वर्षों से अधिक तैनात कर्मियों का विकल्प लेकर स्थानांतरण किया जाएगा.
विभागाध्यक्ष स्थानांतरण सत्र के बाद तबादला नहीं कर सकेंगे, लेकिन प्रशासनिक दृष्टि से कभी भी तादले हो सकेंगे.
उदाहरण के लिए पदोन्नति, सेवा समाप्ति, सेवानिवृत्ति आदि स्थिति में रिक्त पदों पर स्थानांतरण किया जा सकेगा.
किसी अधिकारी व कर्मचारी के व्यक्तिगत कारण जैसे चिकित्सा या बच्चों की शिक्षा आदि के आधार पर रिक्त होने वाले या एक-दूसरे की सहमति पर तबादले किए जा सकेगा।