जी पी दुबे
संवाददाता
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🟥बस्ती मई राष्ट्रीय प्रतिभा समिति बांदा द्वारा वरिष्ठ चिकित्सक, समाजसेवी एवं साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा के साहित्य में योगदान को देखते हुये उन्हें ‘साहित्य तपस्वी’ पुरस्कार से सम्मानित किये जाने पर कलेक्ट्रेट परिसर में साहित्यकारों ने उनका अभिनन्दन किया।
डा. वी.के. वर्मा अब तक 8 पुस्तकों का सृजन कर चुके हैं और हाल ही में उनके कोरोना पर केन्द्रित काव्य संग्रह ‘ कोविड-19’ लोगों में काफी लोकप्रिय हो रही है ।
प्रेमचन्द साहित्य एवं जन कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रामकृष्ण लाल ‘जगमग’ ने कहा कि डा. वी.के. वर्मा अपने साहित्यिक सरोकार और सामाजिक जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं।
डॉक्टर वर्मा शव्दों की साधना के साथ ही मरीजों की सेवा में निरन्तर तत्पर रहते हैं। ‘ कोविड-19’ की परिस्थितियों को डॉक्टर वर्मा ने नजदीक से देखा है उसके बाद ‘ कोविड-19’ काव्य संग्रह लिखा।
वरिष्ठ साहित्यकार सत्येन्द्रनाथ ‘मतवाला’ ने कहा कि डा. वर्मा एक साथ कई विधाओं में खरे उतरते हैं।
लोक चेतना के प्रखर कवि सतीश आर्य ने कहा कि डा. वर्मा की संवेदनायें कविता के रूप में सामने आती हैं।
डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि वे जो देखते हैं अनुभव करते हैं और जिस परिवेश से गुजरते हैं,वहीं से कविता आकार ले लेती है। उन्होंने बताया कि महात्मा बुद्ध पर केन्द्रित ‘तथागत’ खण्ड काव्य लेखन की प्रक्रिया में हैं जो शीघ्र पाठको के समक्ष प्रस्तुत होगा। डा. वी.के. वर्मा को ‘साहित्य तपस्वी’ सम्मान से सम्मानित किये जाने पर श्याम प्रकाश शर्मा, पं. चन्द्रबली मिश्र, डा. राजेन्द्र सिंह ‘राही’ डा. अजीत श्रीवास्तव ‘राज’ असद वस्तवी, बी.के. मिश्र, पंकज सोनी, राघवेन्द्र शुक्ल मृदुल, दीपक सिंह प्रेमी, दीनानाथ यादव, विनय मौर्य, आदि ने प्रसन्नता व्यक्त किया है।