✍️अब्दुल गफ्फार खान की रिपोर्ट
🔻गोरखपुर(ब्रह्मपुर)
क्षेत्र ब्रह्मपुर के ग्रामपंचायत ब्रह्मपुर में 1952 से आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा है।जब अस्पताल खुला उस वक्त अपने समय का इस क्षेत्र का इकलौता अस्पताल था। जहां आयुर्वेद के अच्छे डाक्टर नियुक्त होते रहे।मरीजों की लाइन लगती थी।तब अस्पताल ब्रह्मपुर के रहीस राघव दुबे के मकान में खुला था।लगभग 50 साल उन्ही के मकान में निःशुल्क चला। राघव दुबे की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी रामधारी दुबे द्वारा जिस मकान में अस्पताल चल रहा था उस भवन को इस शर्त पर दान देने के लिए तैयार थी कि इस अस्पताल का नाम राघव रामधारी दुबे आयुवेदिक अस्पताल ब्रह्मपुर कर दिया जाय।लेकिन उनकी शर्त विभाग द्वारा नही मानी गई।उसके बाद अस्पताल वहा से किराए पर सुधाकर मिश्र के मकान में चला आया।समय से किराया नहीं मिलने की वजह से सुधाकर मिश्र द्वारा मकान खाली कराने की बात करने पर उक्त अस्पताल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ब्रह्मपुर में चला आया।आज भी वही चल रहा है।1960 में हुई चकबंदी में 41डिसमिल जमीन आयुर्वेदिक अस्पताल ब्रह्मपुर के नाम ब्रह्मपुर चौराहे की कीमती जमीन सुरक्षित हो गई थी।लेकिन तमाम प्रयास के बाद भी अस्पताल भवन के निर्माण के लिए धन स्वीकृत नहीं हो सका।इधर भाजपा की सरकार अस्पतालों पर विशेष ध्यान दे रही है। यहां नियुक्त आयुर्वेदिक डाक्टर डा0 दिनेश चंद्र अमेठिया का प्रयास था कि अस्पताल भवन बन जाय।उनका प्रयास सफल रहा कि अस्पताल भवन के लिए 25 लाख रुपया स्वीकृत हो गया।इतना ही नहीं
निर्माण कार्य भी शुरू हो गया।कुशल दुबे,हरी प्रसाद दुबे,डा0सुरेश दुबे ,हरी जयसवाल,मन्नू दुबे,अशोक दुबे,पारस यादव,गंगा मुंशी आदि ने खुशी व्यक्त करते
कहा की हम लोगो को अब काफी हुई हैं कि काफी राहत मिलेगी।