• स्टेट टीबी अफसर ने कहा कि इस बीमारी के खात्मे के लिए ज्यादा से ज्यादा नोटिफिकेशन जरूरी
• राज्यस्तरीय कार्यशाला में नार्थ जोन टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त ने भी प्राइवेट डाक्टरों से सहयोग बढ़ाने की अपील की

🟥लखनऊ,

देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा नोटिफिकेशन करना होगा ताकि समय से मरीज का इलाज किया जा सके और बीमारी को फ़ैलने से रोका जा सके। इसमें प्राइवेट डाक्टरों की भूमिका अहम है। प्राइवेट डाक्टर अपने यहां आए

टीबी मरीजों का जरूर नोटिफिकेशन करवाएं। यह कहना है स्टेट टीबी अफसर डॉ शैलेंद्र भटनागर का। वह सोमवार रात को होटल ग्रांट रेडिएंट में आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

हिंदुस्तान लेटेक्स फैमिली प्लानिंग प्रमोशन ट्रस्ट (एचएलएफपीपीटी) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला में उन्होंने कहा कि टीबी के बैक्टीरिया को नष्ट करने में छह महीने का समय लगता है, जबकि मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के केस में इससे अधिक समय लगता है।

सही दवा का निर्धारण करने के लिए सबसे पहले दवा प्रतिरोध का परीक्षण किया जाता है। डॉ भटनागर ने बताया कि राज्य में अभी तक केवल आगरा में ही टीबी प्रशिक्षण केन्द्र था। अब दो ओर राज्यस्तरीय टीबी प्रशिक्षण केन्द्र की अनुमति प्रदान की गई है जो लखनऊ और गोरखपुर में होंगे।

प्राइवेट सेक्टर में टीबी नोटिफिकेशन बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में नार्थ जोन टीबी टास्क फ़ोर्स के चेयरमैन व केजीएमयू के रेस्परेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने कहा कि यूपी, टीबी नोटिफिकेशन में पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। सरकार मरीजों को काफी सुविधाएं दे रही है। प्राइवेट डाक्टर थोड़ा सहयोग बढ़ा दें तो कार्यक्रम में चार चांद लग जाएगा।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ ऐ.के. सिंघल ने बताया कि टीबी की जाँच के लिए पांच सीबीनॉट मशीन और 13 ट्रूनॉट मशीन जनपद में मौजूद हैं। साथ ही जनपद में 28 टीबी यूनिट और 52 टीबी डिटेक्शन सेंटर उपलब्ध हैं। टीबी मरीजों को प्रतिमाह निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपए दिए जा रहे हैं साथ ही प्राइवेट प्रोवाइडर को भी 500 रुपए का इंसेंटिव दिया जाता है।

एचएलएफपीपीटी के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर राहुल मिश्रा ने सभी प्राइवेट डॉक्टरों से अपील की कि नोटिफाई होने वाले सभी मरीजों की बैंक डिटेल भी उपलब्ध कराएं जिससे सरकार द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत प्रदान की जा रही आर्थिक सहायता मरीज के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर की जा सके। कार्यशाला में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन कंसलटेंट डॉ अश्वनी, चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ रवि भास्कर, एचएलएफपीपीटी की स्टेट प्रोग्राम मैनेजर सफिया अब्बास आदि मौजूद थे।