*बीएसए को स्पष्टीकरण तथा बीईओ को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी करने का निर्देश*

*डीएम के निरीक्षण से शिक्षकों में हड़कंप*

विनय कुमार गुप्ता
प्रतिनिधि रुद्रपुर देवरिया जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने आज सदर ब्लॉक स्थित प्राथमिक विद्यालय कतरारी नंबर-1 का औचक निरीक्षण किया, जिसमें कई खामियां मिली। इस संबन्ध में उन्होंने बेसिक शिक्षा अधिकारी से स्पष्टीकरण तथा खंड शिक्षा अधिकारी को ‘कारण बताओ नोटिस’ तलब करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं है।
जिलाधिकारी के औचक निरीक्षण के बाद विद्यालयों पर कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया है स्कूलों पर लेट लतीफ और गैरहाजीर रहने वाले शिक्षक भी जिलाधिकारी के तेवर से चिंतित है। मालूम होकि रुद्रपुर तहसील क्षेत्र में भी तमाम विद्यालयों की स्थिति भी ठीक नही है शिक्षको कि आरामतलबी की चर्चा होती रहती हैं। वही सरकार द्वारा क्रियान्वित योजनाओ की शिकायतें सामने आती रही हैं।
जिलाधिकारी बुधवार को दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर प्राथमिक विद्यालय पहुँचे। उन्होंने सबसे पहले विद्यार्थियों की उपस्थिति पंजिका का अवलोकन किया, जिसमें उन्होंने पाया कि 28 अप्रैल के बाद से विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज नहीं की गई है। प्रधानाध्यापिका ने डीएम को बताया कि विद्यालय में कुल 108 विद्यार्थियों का नामांकन है, जिसमें से 55 विद्यार्थी आज उपस्थित थे।
विद्यालय में तैनात तीन शिक्षकों में से 2 उपस्थित मिले। शिक्षा मित्र किरण पासवान बिना किसी अवकाश स्वीकृति के अनुपस्थित मिली। प्रधानाध्यापिका रीमा सिंह ने आज स्वयं लेट आने की बात स्वीकारी।
जिलाधिकारी ने रसोइये से मिड-डे-मील के विषय में जानकारी प्राप्त की। रसोइये ने बताया कि भोजन शेड्यूल के अनुसार आज 55 विद्यार्थियों के लिए तहरी बनाइ गई थी, लेकिन प्रधानाध्यापिका के विलंब से आने के कारण दूध का वितरण नहीं हो सका। इस पर जिलाधिकारी ने कड़ी नाराज़गी व्यक्त की।
विद्यालय परिसर में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए बने शौचालय में ताला बंद मिला तथा पोषण वाटिका की दशा अत्यंत खराब मिली। जिलाधिकारी ने विद्यालय परिसर को स्वच्छ एवं हरा-भरा बनाने का निर्देश दिया।
निरीक्षण पंजिका में टिप्पणी लिखने के दौरान जिलाधिकारी ने पाया कि विद्यालय का अंतिम बार निरीक्षण 8 सितंबर 2021 को खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा किया गया था। उसके बाद शिक्षा विभाग के किसी भी जिम्मेदार अधिकारी द्वारा विद्यालय का निरीक्षण न करने पर जिलाधिकारी ने असंतोष व्यक्त किया।