मथुरा
✍️रिपोर्ट सत्येंद्र यादव

🔴गोवर्धन – गिरिराज महाराज की परिक्रमा के कस्बा राधाकुंड के श्रीपाद रघुनाथ दास गोस्वामी गद्दी स्थित ब्रजानंद घेरा में प्रबोधानंद सरस्वती द्वारा रचित प्राचीन श्रीराधारस सुधा निधि ग्रंथ के जापानी अनुवाद का विमोचन विदेशी भक्तों के बीच महंत केशव दास महाराज ने किया। मंुगेर मंदिर वृंदावन के साधु महाराज के निर्देशन में विदेशी भक्तों की टीम बुधवार को राधा-श्यामकुंड पहुंची। विदेशी भक्त राधा-कृष्ण की लीलाओं के बीच अभिभूत नजर आये। इस अवसर पर जयनंदा महाराज एवं गोपीनाथ ने साधु-संतों को ग्रंथ भेंट किये। गद्दीनशीन महंत केशव दास महाराज ने बताया कि राधा नाम की महिमा अपरंपार है। श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं कि जिस समय मैं किसी के मुख से रा सुनता हूं, उसे मैं अपना भक्ति प्रेम प्रदान करता हूं और धा शब्द के उच्चारण करनें पर तो मैं राधा नाम सुनने के लोभ से उसके पीछे चल देता हूं। कृष्ण के साथ श्री राधा सर्वोच्च देवी रूप में विराजमान् है। राधारस सुधा निधि में राधा-कृष्ण की लीलाओं का गुणगान है। इसमें 272 श्लोक और उनकी व्याख्या समाहित है। विदेशी भक्त मोटोको योसिदा ने बताया कि राधारस सुधा निधि में राधा-कृष्ण की लीलाओं का संपूर्ण ज्ञान छिपा है। जापानी भाषा में अनुवाद के बाद अमेरिकन व अन्य भाषाओं में प्रकाशन किया जाएगा। इस अवसर पर भक्ति हिमांगिरी, जयनंदा महाराज, राजू कौशिक, मंगला आरती, रामाणी, प्रिया, केवल भक्ति, गोविंदा, नंदनी, लीला माधुरी, मधुरिया, रागनी, सासकी अयुमी, यूके से आये सिटयानी, केलिको, कियोम, छैलबिहारी दास, गोपीनाथ आदि उपस्थित रहे।