डॉ शशि कांत सुमन
पटना। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार से जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुलाकात के बाद सियासी हलकों में खलबली मच गई है। केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना नहीं कराने के ऐलान के बाद तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर जातीय जनगणना कराने की जहां मांग की, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करने की बात की। सीएम से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री के साथ जो मीटिंग हुई, उस में कांग्रेस और लेफ्ट के विधायक मौजूद थे। हमने सीएम के सामने फिर से ये प्रस्ताव रखा कि जातीय जनगणना में पिछड़ा और अति पिछड़ों की गिनती होनी चाहिए।
हालांकि दो बार विधानसभा में सर्वसम्मति से जातीय जनगणना को पास किया गया है, लेकिन केंद्र सरकार की सहमति नहीं होने के कारण इसके रोक दिया गया। उन्होंने बताया कि हमने मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें कहा है की आप इसे लागू करवाने के लिए पीएम से जल्द से जल्द समय लीजिए। हम सभी विपक्षी अभी मिलने चलने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने खुद से अपने खर्च पर राज्य में जातीय जनगणना कराया था। इस पर हम जानकारी लेकर और जो लीगल तरीका होगा उस पर विचार किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा हम भी जातीय जनगणना के पक्षधर है, आज हम दिल्ली जा रहे हैं, लौटने के बाद 2 तारीख को प्रधानमंत्री को लेटर लिखकर इस पर विचार करने के लिए कहंगे। दरअसल आज जातीय जनगणना की मांग को लेकर सीएम नीतीश और तमाम विपक्षी दल के नेताओं ने सीएम चेंबर में इसकी बैठक की। जहां तेजस्वी, तेजप्रताप, अजीत शर्मा, महबूब आलम सहित कई नेता पहुंचे है। बता दें कि जातीय जनगणना की मांग बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दोनों कर रहे हैं। लालू प्रसाद इसके पुराने समर्थक रहे हैं। इधर केन्द्र सरकार ने कह दिया है कि वह सिर्फ एससी-एसटी की ही जनगणना कराएगी। इसलिए बिहार में भारतीय जनता पार्टी भी जातीय जनगणना का विरोध कर रही है। यह पूरी तरह से राजनीतिक मामला है। अनुमान लगाया जा रहा है कि जनगणना हुई तो पिछड़ी और अतिपिछड़ी जातियों की जनसंख्या और अगड़ी जातियों की जनसंख्या का बिल्कुल सही-सही आंकड़े सामने आए जाएंगे। इससे राजद, जदयू जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की ताकत बढ़ सकती है। यह सीधे तौर पर वोट बैंक का मामला है। जातीय जनगणना के बहाने सीएम से तेजस्वी की मुलाकात राजनीतिक हलकों में राजनीति के नए समीकरण के रूप में देख रही है।