🟥महुली/संत कबीर नगर।
जनसूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का उद्देश्य आमजनता को न्याय दिलाने से है।
निश्चित समयावधि में किसी भी जानकारी को जो निजता हनन और देश ख़तरा से जुड़ी हुई न हो जनसूचना अधिकारी ऐसी सूचना देने के लिए बाध्यकारी होता है। आमजनमानस इस अधिनियम का उपयोग करके बड़ी आसानी से सरकारी कार्यालयों में महीनों से लंबित पड़े मामले की स्थिति से अवगत हो सकता है।
इसके अलावा सरकारी योजनाओं और शासनादेशों की जानकारी आसानी प्राप्त की जा सकती है।
लेकिन वर्तमान में इस अधिनियम को भ्रष्ट और नाकारा जनसूचना अधिकारियों ने अभिशाप बनाकर लोगों के सामने पेश करने पर तुले हुए हैं। भ्रष्टाचारियों द्वारा इस अधिनियम को कमजोर करने का हर हथकंडा अपनाया जा रहा है।
यही कारण है कि इन भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा जनसूचना आवेदकों से द्वेष भावना बरती जाती है।और किसी काम को करने से पूर्व फिर जनसूचना लगाओगे जैसा घटिया प्रश्न कर अपने पदीय अहंकार का प्रदर्शन किया जाता है।
ऐसा प्रतीत होता है कि जनसूचना के तहत सूचना मांगना कोई अपराध हो।
चाहे थाने का मामला हो या फिर ब्लाक तथा तहसील का मामला हो।इन कार्यालयों में अधिकांशतः काम कराने के लिए बिना दलाल का सहयोग लिए काम होना असंभव है। घूसखोरी इतनी बढ़ गई है कि छोटे-मोटे काम के लिए इन नाकारा अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा घूस की मांग की जाती है।
और अगर कोई आम आदमी सरकार द्वारा प्रदत्त इस अधिकार का प्रयोग कर कानून के दायरे में इन भ्रष्टाचारियों की पोल खोलने का काम करता है तो उसे इन भ्रष्टाचारियों द्वारा अपराधी बनाने का अथक प्रयास किया जाने लगता है।
कुछ वर्ष पूर्व में जनपद संत कबीर नगर के धनघटा सर्किल में तैनात रहे एक क्षेत्राधिकारी पर सूचना न देने और लापरवाही बरतने पर माननीय राज्यसूचना आयुक्त ने 25000रूपये का दण्ड अधिरोपित किया था।यह दंड महुली पुलिस को रास नहीं आ रहा है। इसी दंड की रट बार बार महुली पुलिस द्वारा लगाई जा रही है।
जब भी कोई जनसूचना आवेदक अपना मामला लेकर महुली थाने में पहुंचता है तो थाने के सभी लोग एक स्वर में विपक्षी बनकर पीड़ित को जनसूचना का ताना सुनाते हैं।और न्याय दिलाने के बजाय उस पर जनसूचना न लगाने का अवैधानिक तरीके से दबाव बनाने लगते हैं ।
पुलिस कर्मियों का यह बर्ताव खेदजनक है।जो लोग कानून के पालक है।वही आज आम जनता के इस कानूनी अधिकार को अभिशाप समझकर न्याय के लिए दर-दर भटकाते हुए कहीं न कहीं इस कानूनी अधिकार को रौंदने का काम कर रहे हैं।
आखिर जनसूचना आवेदनों से घूसखोरों की नींद क्यों उड़ जाती है?
इस प्रश्न का जवाब आसान है। लेकिन इस प्रकार के प्रश्न करने व जवाब मांगने की हिम्मत किंचित लोगों में देखने को मिलती है।