✍️कैलाश पांडे हरैया

🔴हर्रैयाबस्ती – हर्रैया विकास खण्ड में कई वर्षों से तैनात ग्राम विकास अधिकारी दयानन्द वर्मा को नही है शाशन प्रशासन का कोई ख़ौफ और न ही शाशन प्रशाशन के आदेशों का करते है पालन मुख्यमंत्री जी के ड्रीम प्रोजेक्ट पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय जैसे कामो के साथ खूब जम कर उड़ा रहे है सरकार के आदेशों की धज्जियां ।

विकासखण्ड हर्रैया के ग्राम पंचायत रतनपुर में 19 लाख 26 हजार के लागत से पंचायत भवन और 6 लाख 92 हजार के लागत से सामुदायिक शौचालय बनाया गया लेकिन दो साल हो गया अभी तक पंचायत भवन में न तो बिजली का कार्य पूरा किया गया न ही किसी खिड़की में दरवाजा लगाया और न ही शौचालय और एक कमरे में टाइल का काम भी नही हुवा न पानी की कोई व्यवस्था कराया गया पंचायत भवन के बिल्डिंग के चारो तरफ एक मीटर चौड़ा आरसीसी बनाने का आदेश था उस पर भी कोई काम नही हुवा प्लास्टर तो ऐसा हुवा है कि वो अभी से गिरने लगा है यही हाल सामुदायिक शौचालय का भी है न अभी तक पानी की टंकी न टुल्लू पंप न दरवाजा न ही दिव्यांगों के लिए रैम्प की व्यवस्था भी अभी तक नही किया गया है सूत्रों से पता चला है कि पंचायत भवन और सामुदायिक का पूरा पैसा सचिव और प्रधान द्वारा निकाल लिया गया है और अभी तक काम शाशन के बार -बार निर्देश के बाद भी अधूरा पड़ा है जिससे ग्रामीणों में काफी नाराजगी भी सामने आया है सचिव प्रधान द्वारा पंचायत भवन और समुदायिक का काम तो पूरा नही कराया गया लेकिन पंचायत सहायक और सफाई कर्मी की नियुक्ति कई महीनों पहले कर दिया गया है जब हमारे द्वारा फोन पे पंचायत सहायक से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि हम को दिसम्बर से लेकर के अप्रैल तक का वेतन मिल चुका है पांच महीने में 30 हजार रुपया तो ग्राम पंचायत के खाते से तो भुकतान कर दिया गया पर पंचायत सहायक को अभी तक ये भी नही पता है कि उनके ग्राम पंचायत में क्या – क्या कार्य कराया गया है और वो किस काम के लिए नियुक्त की गई है वो एक ही बार मे बतायी की अभी हमारा पंचायत भवन अधूरा पड़ा है और दिसम्बर से लेकर अप्रैल तक का वेतन भी मिल चुका है और हम कुछ नही जानती है यह पंचायत भवन और सामुदायिक का मामला केवल रतनपुर ग्राम पंचायत का ही नही बल्कि सचिव महोदय के तमाम ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय में कमियां देखने को मिली है ।

आखिर किसके रहमो कर्म से इतने बड़े बड़े कारनामो के बावजूद अभी तक सचिव के ऊपर कोई कार्यवाही नही की गई ।

क्या शाशन प्रशासन का आदेश सिर्फ कागजो में ही सिमट कर रहा जाता है या सरकार की ऐसी महत्वपूर्ण योजनाये अखबार की हेडलाइन ही बनकर रह जाती है आखिर कब तक चलेगा ये भ्र्ष्टाचार का खेल ???