🟥जमालपुर — मुंगेर जिला चौरसिया कल्याण समिति के तत्वाधान में स्थानीय नयागांव ठाकुरबारी रोड स्थित चौरसिया कल्याण समिति के जिला केंद्रीय कार्यालय में गुरु गोविंद सिंह की 355 वीं जयंती कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए निष्ठा पूर्वक मनाई गई। जयंती समारोह की अध्यक्षता जिला चौरसिया कल्याण समिति के जिला अध्यक्ष चौरसिया हृदय सम्राट पान पुत्र चौरसिया आशीष कुमार “अधिवक्ता” ने एवं संचालन कार्य जिला मीडिया प्रभारी आध्यात्मिक चिंतक राजन कुमार चौरसिया ने किया। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने गुरु गोविंद सिंह के तैलीय चित्र पर पुष्पांजलि कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपना उद्गार व्यक्त किए। अपने उद्गार व्यक्त करते हुए चौरसिया हृदय सम्राट पान पुत्र चौरसिया आशीष कुमार “अधिवक्ता” ने कहा कि संतों का कार्य पूरे मानव जाति के कल्याणार्थ होता है। संत किसी खास देश, धर्म, जाति समाज के कल्याण की बात नहीं सोचते अपितु वे पूरे मानव जाति के कल्याणार्थ काम करते हैं। वह पूर्ण संत होते हुए भी धर्म की रक्षा के लिए हथियार उठा लिए थे। वे सिखों के दसवें गुरु होने के साथ-साथ एक दार्शनिक कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। संरक्षक इंद्रदेव मंडल ने गुरु गोविंद सिंह को महान संत बताते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के दसवें गुरु थे और उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 ई० को पटना में हुआ था। गुरु तेग बहादुर उनके पिता थे और उनकी माता का नाम गुजरी था। उपाध्यक्ष प्रवीण चौरसिया ने कहा कि उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 ई० को हुआ था तथा मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 ई० को हुआ था। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना कि थी। नीलम भगत ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को ही मानते थे। जिला मीडिया प्रभारी अध्यात्म चिंतक राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि संत इस संसार के प्राण है, अगर संत जन नहीं होते तो यह संसार ही कब का जल कर राख हो गया होता। उन्होंने 11 नवंबर 1675 ई० को सिखों के दसवें गुरु बने तथा संत 1699 ई० में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना किए थे। मौके पर आशीष कुमार “अधिवक्ता”, इंद्रदेव मंडल, प्रवीण चौरसिया, राजन कुमार चौरसिया, कुंदन मंडल, संतोष चौरसिया, रामचंद्र मंडल, विमल मोदी, चंद्रशेखर मंडल, श्याम लाल चौरसिया, मदन लाल मंडल, नीलम भगत, अनिल कुमार, विनोद कुमार, गोपी कुमार, मनोज कुमार, अनिल कुमार सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।