मथुरा
रिपोर्ट सत्येंद्र यादवगोवर्धन। कस्बा के बस स्टैंड के समीप गजेन्द्र्रमुखी आश्रम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में व्यास मनीष पूर्णानंद जी महाराज ने भगवान विष्णु के पांचवे अवतार की सुंदर कथा भक्तों को सुनाई। इस अवसर पर वामन भगवान की झांकी के दर्शन कर भक्त भावविभोर नजर आये। उन्होंने कहा कि भगवान की लीला अनंत है और उसी में से एक वामन अवतार है। वामन अवतार कथानुसार देव और दैत्यों के युद्ध में दैत्य पराजित होने लगते हैं। पराजित दैत्य मृत एवं आहतों को लेकर अस्ताचल चले जाते हैं और दूसरी ओर दैत्यराज बलि इंद्र के वज्र से मृत हो जाते हैं, तब दैत्यगुरु शुक्राचार्य अपनी मृत संजीवनी विद्या से बलि और दूसरे दैत्य को भी जीवित एवं स्वस्थ कर देते हैं। राजा बलि के लिए शुक्राचार्य जी यज्ञ करते हैं तथा अग्नि से दिव्य रथ, बाण, अभेद्य कवच पाते हैं। इससे असुरों की शक्ति में वृद्धि हो जाती है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगती है। कहा कि वामन अवतारी श्रीहरि, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच जाते हैं। ब्राह्मण बने श्री विष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हैं। राजा बलि दैत्यगुरु शुक्राचार्य के मना करने पर भी अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में देने का वचन कर देते हैं। वामन रुप में भगवान एक पग में स्वर्गादि उर्ध्व लोकों को ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लेते हैं। अब तीसरा पग रखने को कोई स्थान नहीं रह जाता है। बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया महाराज श्री ने बताया ऐसे मे राजा बलि यदि अपना वचन नहीं निभाए तो अधर्म होगा। कथा में वामन भगवान की झांकी के साथ मंचन किया गया। इस अवसर पर समाजसेवी सुनील भारद्वाज, गणेश पहलवान, वंशी केशौरैया, संटी सेठ, विजय, सत्यप्रकाश जायसवाल, गिरधाारी सेठी, डाॅ. हरेंद्र गुप्ता आगरा, रामकिशन कौशिक भरतपुर, सियाराम शर्मा, दीपक कैशोरैया आदि उपस्थित रहे।