🟥जौनपुर / आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अयोध्या के माननीय कुलपति डॉ बिजेन्द्र सिंह के संरक्षण एवं निदेशक प्रसार प्रोफेसर ए. पी. राव के कुशल मार्गदर्शन में संचालित कृषि विज्ञान केंद्र अमिहित जौनपुर-2 के पर दिनाँक 30 नवम्बर 2022 को कृषि विज्ञान केंद्र पर प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया जिसके दौरान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने प्रेस मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व केंद्र के वैज्ञानिकों एवं कर्मचारियों का स्वागत करते हुए कहा कि रबी फ़सलो से किसानों की आय बढ़ाने में एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन का विशेष महत्व है। डॉ संजीत कुमार ने बताया कि सभी फसलों की बुवाई से पूर्व मिट्टी की जाँच कराकर, भूमि उर्वरता स्तर के आधार पर ही खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करें साथ ही साथ अनाज वाली फसलों में सामान्य रूप से 8 से 10 टन अच्छी प्रकार से सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद या 6 से 8 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हैक्टेयर की दर से उपयोग करें। जिससे लगभग 50 प्रतिशत पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाएगी। शेष बची पोषक तत्वों की पूर्ति उर्वरकों का उपयोग करके करें। उन्होंने कहा कि किसान भाई डी.ए.पी.के स्थान पर इफको एन.पी.के (12: 32 :16) ग्रेड का उपयोग करके नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटाश की पूर्ति कर सकते हैं, सामान्य रूप से 75 किलोग्राम एन.पी.के. (12: 32 : 16) प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। किसान भाईयों, फसल चक्र का उपयोग करते हुए अदलहनी फसलों के बाद दलहनी फसलों को उगा कर भूमि में प्राकृतिक नाइट्रोजन का स्थिरीकरण किया जा सकता है सामान्यतः चना, मटर,मसूर, ढैंचा की फसल अपने अवधि के दौरान भूमि में लगभग 40- 70 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर इकट्ठा करती है। दलहनी फसलों का भूमि उर्वरता प्रबंधन में विशेष महत्व है। मृदा वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने मिट्टी का नमूना लेने, नमूना तैयार करने, प्रयोगशाला में नमूने को भेजने के बारे में विस्तृत चर्चा की एवं प्राकृतिक को अपनाने की तकनीक बताई। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि बदलते हुए मौसम में पशुओं को रात के समय पशुशाला में रखे विशेषकर दुधारू पशु एवं उनके बछड़े व बछडियों को रात में सर्दी से बचाने तथा धान के पुआल को बिछावन के रूप में इस्तेमाल करके पशुओं को सर्दी से बचाया जा सकता है। सस्य वैज्ञानिक डॉ संजय कुमार ने कहा कि किसान भाई गेहूं की बुवाई में देरी ना करें, किसान भाई कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई की गई धान की फसलों के खाली खेतों में सुपर सीडर/ हैप्पी सीडर का उपयोग करते हुए फसल अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ बुवाई की लागत एवं समय की बचत कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि गेहूं की अधिक उपज देने वाली प्रजातियां जैसे डी वी डब्ल्यू 187 (करण वंदना), डी बी डब्ल्यू 222 (करण नरेंद्र), पूसा यशस्वी, करण श्रिया, एच डी 2967, पी बी डब्ल्यू 343, मालवीया आदि की बुवाई बीजोपचार के बाद करें। चर्चा समापन के दौरान डॉ संजीत कुमार ने सभी वैज्ञानिकों, केन्द्र के कर्मचारियों, प्रेस मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का धन्यवाद एव आभार व्यक्त करते हुये कहा कि किसानों की आय बढ़ाने में एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन की महत्वपूर्ण भूमिका है उन्होंने किसानों को विभिन्न फसलों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन को अपपनाने के लिये अपील किया। इस प्रेस वार्ता के सफल आयोजन मे प्रदीप कुमार यादव, सचिन यादव, विवेक सिंह, रंजना देवी, विश्वजीत सिंह आदि का सहयोग रहा।