🟥लखनऊ – भारत में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम लोग बेरोजगार हो चुके हैं। दिक्कत तब और बढ़ जा रही है जब बेरोजगार कलाकारों व तकनीशियनों को उनके पिछले काम का पैसा भी नहीं मिल पा रहा है। हम बात के फिल्म तरकीब में काम करने वाले कलाकारों और कर्मचारियों का पैसा लेकर इसके प्रोडक्शन मैनेजर विपिन तिवारी और आकाश ने नही दिए । इस बारे में ये लोग विपिन तिवारी और आकाश से बार- बार पैसा की मांग की , लेकिन वह लोग टहला देते थे। बार बार प्रोड्यूसर ने पैसा नही दिया। जब देगा तब तुम लोगों को दे देगे। जबकि निर्माता फहद  से पूरा पैसा ले चूके है। कलाकार जब परेशान हो गए तो निर्माता फहद को यह सारी बात बताई। फिल्म तरकीब के निर्माता फहद ने आफिस बुला कर सभी कलाकारों को बकाया पैसा दिया। कहा आप लोग निर्माता को बदनाम ना किया करे। यह बात हम लोग को पता भी नही चल पाता है। फिर निर्माता फहद ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस बारे में दखल देने की मांग की है। और ऐसे यहां के प्रोडक्शन मैनेजर है जो कलाकारों का काम कराने के बाद पैसा भी नहीं देते है। यहां पिछली महीने शूटिंग हुई फिल्म” तरकीब” के मुख्य कलाकारों में विक्रांत सिंह, श्रुति राव, सजान सिंह, मनोज द्विवेदी,विशाल सिंह हैं, जबकि सहायक कलाकारों में बलराज शर्मा, मानू तिवारी , मनीष अग्रवाल, रिजवान, नीलाम तिवारी, सन्नी सिंह सूर्या प्रकाश व अन्य कलाकार शामिल हैं। इस फिल्म के निर्माता फहद है । निर्देशक बाल किशन सिंह है। फिल्म के कलाकारों का कहना है कि जब भी पैसे की बात प्रोडक्शन मैनेजर विपिन तिवारी और आकाश से की जाती है तो वह टाल देते थे

और बहाना रहता था की प्रोडयूसर की  तबीयत ख़राब है या फोन नही उठा रहे है । नाम का खुलासा न करने की शर्त पर एक कलाकार ने निर्माता फहद को अपनी व्यथा सुनाई स्थिति बताते हुए उन्होंने आगे कहा, ‘हम कैमरे के सामने काम करते हैं इसलिए हम खाने और पीने का पानी ना होने की समस्या दूसरों को नहीं बता सकते। लेकिन हकीकत यह है कि इस वक्त हमारा जीना दूभर हो गया है। पैसे मांगने पर विपिन तिवारी व आकाश सारी बात निर्माता पर टाल देते थे । और कहना होता था कि उन्हें अभी तक प्रोडयूसर से पैसा नहीं मिला। अब तो ये दोनों हमारे फोन कॉल्स और मैसेज का जवाब तक नहीं देते हैं। दोनों का कोई पता ठिकाना भी किसी को नहीं मालूम।

फिल्म तरकीब के निर्माता फहद ने मीडिया बधुओ से बात चीत में बताया कि उत्तर प्रदेश में न तो कोई कलाकर यूनियन जहां वे लोग शिकायत करे । और आप को बता दू कि मैं भी उत्तर प्रदेश का हू। इसलिए मुझे ख़बर मिल गई। प्रोडयूसर दूसरे प्रदेश का होता तो ये लोग प्रोडयूसर ही बदनाम करवाते होगे। पता यहां तक चला है कि कलाकारो वह 60 फीसदी पैसा काट कर उन्हें 40 फीसदी पैसा देते हैं। यह लोग मेहनत और पसीना बहा कर काम करते है। जबकि कलाकार के नाम पर हमसे भी पूरा पैसा लिए है कलाकारों का आरोप है कि उनके पास पूरा रिकॉर्ड है तो इनको पैसा क्यों नही दीया जाता है। और जो भी निर्माता और कलाकर है ।उत्तर प्रदेश में यह बहुत बड़ी समस्या है।
(पी आर ओ अरविंद मौर्य )