31 वीं पुण्यतिथि पर याद किए गए रेल कर्मी गणितज्ञ स्वर्गीय वासुदेव ओझा // नेक्सा लीगल संस्थान द्वारा मनाया गया कर्मयोगी स्वर्गीय बी० डी० ओझा की 31वीं पुण्यतिथि // सुप्रसिद्ध साइंस शिक्षक थे कर्मयोगी वासुदेव ओझा — मनोज मिश्र

🟠जमालपुर मुंगेर बिहार—– नयागाँव स्थित नेक्सा लीगल संस्थान में सुप्रसिद्ध साइंस शिक्षक एवं रेल कर्मी कर्मयोगी स्वर्गीय वासुदेव ओझा की परम पावन 31 वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता गायत्री शक्तिपीठ के उप जोनल प्रतिनिधि मनोज मिश्र ने किया

एवं संचालन कार्य स्वर्गीय बी० डी० ओझा के छात्र रहे संतमत सत्संग के जिला प्रचार मंत्री सत्संगी राजन कुमार चौरसिया जी कर रहे थे। इस अवसर पर दीप प्रचलित, पुष्पांजलि, भजन एवं स्वर्गीय बी० डी० ओझा के व्यक्तित्व पर परिचर्चा आयोजित की गई।

अध्यक्षता कर रहे स्वर्गीय ओझा के छात्र रहे गायत्री शक्तिपीठ के उप जोनल प्रतिनिधि मनोज मिश्र ने स्वर्गीय ओझा को महान कर्मयोगी बताते हुए कहा कि स्वर्गीय ओझा बहुमुखी प्रतिभा संपन्न महामानव थे। वह जमालपुर रेल कारखाने में काम करते हुए भी साइंस के सुप्रसिद्ध शिक्षक के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी थे। स्वर्गीय ओझा की रचित कविता कभी तो मिलेंगे कूल और किनारा, अभी मैं ना हारा, अभी मैं ना हारा, गाते हुए

उन्होंने कहा कि जीवन संघर्ष और चुनौतियों के प्रति शौर्य प्रदर्शन से भरे अपराजेय योद्धा आकर्षक और चुंबकीय व्यक्तित्व का नाम था वासुदेव ओझा। उनका स्वर्गवास 4 जनवरी 1993 को रामपुर कॉलोनी के क्वार्टर में हुआ था परंतु उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है कि यदि शिक्षकों में समर्पण और कर्तव्य निष्ठा की भावना रहेगी तो छात्रों का भी आदर भाव उनके प्रति अवश्य रहेगा। यही कारण है कि उनके छात्रों द्वारा उन्हें आज भी याद किया जा रहा है।

नेक्सा लीगल संस्थान के संस्थापक आशीष कुमार अधिवक्ता ने कहा कि स्वर्गीय ओझा बड़े विद्वान, ज्ञानवान, अध्यात्मपरायण एवं महान परोपकारी शिक्षक थे। वे शिक्षा दान देते थे परंतु शिक्षा दान देना उनका कोई व्यावसायिक मकसद नहीं था।

उनकी कथनी और करनी में समानता थी। वे जो कहते थे वह हो जाता था। किसी भी परीक्षा में सफल होने की भविष्यवाणी छात्रों को वे पहले ही कर देते थे और उनकी भविष्यवाणी सत्य भी हो जाती थी। उनके ऐसे महान परोपकारी व्यक्तित्व को याद किया जाना आज के सामाजिक परिवेश में अनिवार्य आवश्यकता बन गया है।

स्वर्गीय ओझा के परम शिष्य छात्र रहे संतमत सत्संग के जिला प्रचार मंत्री सत्संगी राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि स्वर्गीय ओझा आदमी से बहुत ज्यादा और देवता से थोड़ा ही काम थे। उनके लिए छात्र जान और खून देने के लिए भी तैयार रहते थे। यही कारण है कि उनके बीमारी के समय जरूरत पड़ने पर कई बोतले खून अपने शरीर से उनके छात्रों ने ही दिए थे। वे एक आम आदमी की जीवन शैली जीते हुए भी अपने आचरण व्यवहार से असाधारण बन गए। मौके पर मनोज मिश्र, आशीष कुमार

अधिवक्ता, राजन कुमार चौरसिया, एस० डी० प्रसाद, इंद्रदेव मंडल, चंदन मंडल, श्यामलाल चौरसिया, मदनलाल मंडल, सेवानिवृत्ति प्रधानाचार्य कपिल कुमार मंडल, राजेश सरस्वती, मनीष सिन्हा, सौरभ ठाकुर सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।