पत्रकारिता, सामाजिक समास्याओं के निदान हेतु करें – डॉ अरविन्द वर्मा

✍️ANA/Indu Prabha

🟥खगड़िया ( बिहार)। ऑल रिपोर्टर्स यूनियन ऑफ नेशन के तत्वाधान में लक्ष्मी सिनेमा रोड स्थित लक्ष्मी कंपलेक्स में हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार वर्मा व संचालन पत्रकार पांडव कुमार उर्फ पी के ठाकुर ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार पूर्व जिला प्रभारी हिंदुस्तान प्रेस के सतीश आनंद व वरिष्ठ पत्रकार डा अरविन्द कुमार वर्मा उपस्थित थे। कार्यक्रम में सतीश आनंद देश वासियों को पत्रकारिता दिवस की हार्दिक बधाई देते हुए कहा देश का चौथा स्तंभ पत्रकार है। जो समाज के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं जहां सूर्य की किरण नहीं जाती वहा पत्रकार बंधु पहुंचकर न्यूज़ कवरेज करते हैं जनता की समस्याओं को प्रशासन व सरकार तक पहुंचाते हैं। इसलिए निःस्वार्थ भाव से निष्पक्ष व निडर होकर पत्रकारिता करनी चाहिए। डा अरविन्द कुमार वर्मा ने कहा पत्रकारिता की गिनती सामाजिक कार्यो में की जाती है। ईश्वर के बाद यदि जनता विश्वास व अपनी समस्या किसी के पास रखती है तो वो है पत्रकार। इसलिए पत्रकारिता सामाजिक समस्याओं के निदान के लिए किया जाना चाहिए। साथ ही अपने बारे मे व अपने परिवार के विकास के लिए संगठित भी होनी चाहिए। अरुण कुमार वर्मा ने कहा अंग्रेजों के शासन काल में जनता की समस्याओं को हिंदी भाषा में प्रकाशित 30 मई 1826 को किया गया था। इससे पहले कई भाषाओं में प्रकाशित होते थे लेकिन हिंदी भाषा में प्रकाशित 30 मई को ही हुआ था । हिंदी पत्रकारिता प्रकाशित बाद से ही लोग पत्रकारिता में अधिक से अधिक जुड़ने लगे और आज डिजिटल ,सोशल मीडिया, यूट्यूब, और प्रिंट मीडिया में एक जिले में सैकड़ों पत्रकार समाज के लिए कार्य कर रहे हैं। जनता की समस्या सरकार तक व सरकार की योजना जनता के बीच प्रकाशित करते हैं । जरूरत है तो पत्रकार को स्वयं के बारे में सोचने की जब तक सभी पत्रकार एक होकर संगठित होकर नहीं रहेंगे तब तक उनके ऊपर अपराध बढ़ती रहेगी और वे निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं कर सकेंगे । उनहोंने सरकार से पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग भी किये। पांडव कुमार ने कहा पत्रकारिता समाज के लिए सरकार व प्रशासन के लिए किया जाता है। देश के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकार अपने कर्तव्य का पालन करते हैं। लेकिन उस कर्तव्य के मार्ग में पत्रकारों को अपनी जान की बाजी भी लगानी पड़ती है। जिसके कारण समाज में पत्रकार भयभीत होकर ना तो निष्पक्ष सरकार के खिलाफ लिख पाते हैं और ना प्रशासन के और ना समाज के दबंगों के खिलाफ । क्योंकि उन्हें कोई सहायता नहीं मिलती इसलिए जरूरत है हमें एकजुट होने की अपने बारे में सोचने की जब तक हम संगठित नहीं होंगे, पत्रकार सुरक्षा कानून नही बनेगी हम समाज में निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं कर सकेंगे।आनंद राज ने कहा हिंदी पत्रकारिता प्रकाशित के बाद पत्रकारिता क्षेत्र में लोग अधिक से अधिक जुड़ने लगे । हर साल इस दिवस पर सभी पत्रकार वह सरकार द्वारा कार्यक्रम आयोजित की जानी चाहिए । वृक्षारोपण, रक्तदान व विभिन्न प्रकार के सामाजिक कार्य व प्रेरणादायक सम्मेलन आयोजित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा ब्रिटिश कालीन भारत में जब दूर-दूर तक हिंदी भाषा में अखबार नहीं थे तब कोलकाता के रहने वाले वकील पंडित जुगल किशोर शुक्ल जी ने हिंदी पत्रकारिता की आधारशिला रखी। उन्होंने अखबार “उदंत मार्तंड ” अखबार में हिंदी भाषा के वृज और अवधी भाषा का मिश्रण किया था। कार्यक्रम के अंत में दूध जलेबी महोत्सव कार्यक्रम भी आयोजित की गई। मौके पर डॉक्टर समीर आलम, सुरेश नायक ,प्रभु जी, मोहम्मद बाबूल, शुभम चौहान, शेखर यादव, राज वर्मा, राजा कुमार, मृत्युंजय ठाकुर आदि उपस्थित थे ।