*-नगर, कस्बा, देहात,की गली-गली में संचालित है सैकड़ों अबैध कलेक्शन सेंटर,*

🔴जनपद बदायूॅ प्रभारी- विवेक गुप्ता की रिपोर्ट/*

👉 :- जानकारी देते हुए बता दें कि जिले भर में अवैध पैथाेलॉजी लैब का धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। गांव कस्बों तो कहीं एक कमरे में कही सकरी गलियों में पैथोलॉजी चल रही है।

अप्रशिक्षित कर्मचारियों से काम चलाया जा रहा है। हाल यह है कि एक ही सैंपल की अलग-अलग रिपोर्ट आती है। और अलग अलग रेट है इन रिपोर्ट पर कितना भरोसा किया जाए, यह चिकित्सक भी समझ नहीं पा रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में जिले में लगभग 10 पैथोलॉजी पंजीकृत हैं। ये विभाग के मानक पूरे कर रही हैं। जबकि हकीकत में कई गुना पैथाेलॉजी चल रही हैं।

अगर शहर की बात की जाए तो हर मोहल्ले में कई पैथालॉजी चल रही हैं। कोई एक कमरे में तो कोई बरामदे में मरीजों के ब्लड सैंपल लेकर जांच कर रहा है।

आंवला रोड़ पर करीब 10 पैथोलॉजी हैं। जिला महिला अस्पताल के सामने भी बिसौली वजीरगंज कुंवरगांव में तो इस तरह की पैथाेलॉजी की बाढ़ है। जिला अस्पताल आए मरीज राजेश ने बताया कि एक पैथोलॉजी से जांच करवाई थी तो प्लेटलेट्स 80 हजार थी।

कुछ देर बाद दूसरी पैथोलॉजी से प्लेटलेट्स जांच करवाई तो वह एक लाख निकली। चिकित्सक भी दो रिपोर्ट देख हैरत में पड़ गए। उसके बाद जिला अस्पताल से जांच करवाई तो कहीं जाकर इलाज शुरू हो सका। यह हाल केवल शहर ही नहीं बल्कि पूरे जिले में बना हुआ है।

कस्बों में तो हर गली-मोहल्ले में पैथोलॉजी की दुकानें हैं। रोजाना इनकी संख्या बढ़ती जा रही है।
यही हाल सहसवान,उझानी, कछला, बिल्सी, बिसौली,सैदपुर वजीरगंज, कुंवरगांव विनावर, दातागंज अलापुर म्याऊं उसहैत उसावां का बना हुआ है।

*कस्बा बिसौली में एक भी पैथोलॉजी पंजीकृत नहीं, हर गली में मौजूद कलेक्शन एजेंट,*

बिसौली तहसील की हर गली में कलेक्शन एजेंट मौजूद हैं। सभी पैथोलॉजी बिना पंजीकरण के चल रही हैं। सीएचसी अधीक्षक डॉ. पवन कुमार ने बताया कि सीएचसी से एक भी पैथोलॉजी पंजीकृत नही हैं।

इन पैथाेलॉजी में विभिन्न जांचों के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित है। कुछ पैथाेलॉजी अपने कलेक्शन सेंटर भी चला रही हैं। इनमें से अधिकतर सीएचसी परिसर के आसपास मौजूद हैं। तीमारदारों का आरोप है कि कई बार चिकित्सक प्राइवेट जांच के लिए भी मौखिक रूप से कलेक्शन सेंटर का नाम लेकर जांच कराने को कहते हैं। यहां अप्रशिक्षित लोग ब्लड सैंपल निकालने से लेकर सभी जांचें करते हैं।

*डॉक्टर भी देते हैं बढ़ावा,*

इन पैथाेलॉजी के फलने-फूलने में झोलाछाप चिकित्सकों का भी आशीर्वाद रहता है। संचालक चिकित्सकों से जांच का कमीशन तय कर लेते हैं। इसके बाद अस्पताल आने वाले मरीजों को डॉक्टर इन्हीं पैथाेलॉजी पर भेजते हैं। इससे उनको मोटा कमीशन मिलता है। अब तक ये लोग एक फोन पर घर जाकर भी सैंपल कलेक्ट कर लेते हैं।

*रेट भी अलग-अलग,*

इन पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट के दरें भी अलग-अलग हैं। कोई एलएफटी जांच के लिए पांच सौ लेता है तो कोई चार सौ में ही जांच कर देता है। तो इसी तरह डेंगू की जांच कहीं एक हजार में तो कहीं 1200 में हो रही है। मनमाने रेट व भरोसा न होने के चलते इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है।

*चलेगा अभियान,*

चलेगा अभियान जिले में अवैध पैथाेलॉजी को चलने नहीं दिया जाएगा। जल्द ही इनके खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। इनके रेट निर्धारण को लेकर कोई नियम नहीं है।
*डॉ. प्रदीप वार्ष्णेय, सीएमओ,*