अशरफी मिशन में सजी हुसैन की महफिल

देवरिया बरहज।शनिवार को स्थानीय पटेल नगर स्थित अशरफी मिशन मंजिल पर करबला के शहीद इमाम हसन व हुसैन की यादगार महफिल सजायी गयी।इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम माह का चाँद देखने के बाद शनिवार की शाम इमाम हसन व हुसैन की यादगारे महफिल में अकीदतमंदों ने हाजिरी लगायी।अशरफी मिशन में आयोजित जिक्रे शहादत करबला प्रोग्राम में तकरीर करते हुए मौलाना नुरूल इस्लाम अशरफी ने कहा कि सच्चाई और ईमान के लिए पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हसन व हुसैन की शहादत पूरी दुनिया में एक मार्मिक मिशाल है।करबला के मैदान में अपने 71 साथियों के साथ अत्याचारी शासक यजीद से लड़ते हुए हजरत इमाम हसन व हुसैन ने अपनी शहादत दे दी थी लेकिन बुराई और अन्याय के सामने घुटने नहीं टेका।हजरत इमाम हसन व हुसैन की शहादत सच्चाई और ईमानदारी पर चलने वालों के लिए अनुकरणीय है।जिक्रे शहादत करबला करबला में तकरीर करते हुए मौलाना इस्माईल निजामी घोसी ने कहा कि मोहर्रम का महीना बेहद सब्रऔर परहेज का महीना है।इस महीने में हर मोमिन गमोपेश होकर इमाम हसन व हुसैन शहादत की याद में मातम मनाता है।मौलाना ने नात *इमाम हुसैन जिनके दिलों में कयाम करते हैं, वो आँसुओं का बड़ा एहतराम करते हैं,मैं जब भी लिखता हूँ कागज पर नामे हुसैन, फरिश्ते मेरी कलम को सलाम करते हैं।* सुनाकर वाहवाही लूटी।कार्यक्रम में मोहम्मद सूफियान,मोहम्मद आफताब, मोहम्मद अरमान ने नातिया कलाम पढ़कर महफिल को झूमने पर मजबूर कर दिया।संचालन मजहरूल हक अशरफी ने किया।कार्यक्रम में पूर्व चेयरमैन विरेन्द्र गुप्ता,गुलाम रसूल, शमीम अंसारी, मोहम्मद आलम, बबलू अंसारी, मुर्तुजा मंसूरी,नसीर अहमद राईन,इरफान खान, बसीर राईन,मकसूद आलम आदि शामिल रहे।