उमानाथ यादव

🛑रायबरेली, 15 जुलाई 2023
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 10 अगस्त से सर्वजन दवा सेवन अभियान शुरू हो रहा है | जिसमे लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन् कराया जाएगा
इसी क्रम में शनिवार को जतुआटप्पा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र(सीएचसी) पर ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसके तहत आशा संगिनी , आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया |
इस मौके पर सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डा. बृजेश कुमार ने कहा कि 10 अगस्त से घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल(आईडीए) खिलाने के लिए आईडीए राउंड चलेगा | जिसमें आप सभी की भूमिका अहम है क्योंकि आप ही घर घर जाकर लोगों को दवा का सेवन अपने सामने कराएंगी | ध्यान रखिएगा कि दवा किसी को भी देकर नहीं आनी है, अपने सामने ही दवा खिलानी है | एक साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को छोड़कर सभी को दवा का सेवन् करवाना है | दवा खिलाते समय यह सुनिश्चित करें कि खाली पेट कोई दवा का सेवन न् करे |
स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी आभा सोनकर ने जानकारी दी कि 17 जुलाई से शुरू होने वाले दस्तक अभियान के तहत फाइलेरिया रोगी की लाइन लिस्टिंग करनी है | लाइन लिस्टिंग के समय विशेष ध्यान दें | कोई भी परिवार या व्यक्ति छूट न् जाए | इसके अलावा लोगों को इस बात से भी अवगत कराएं कि फाइलेरिया मच्छरजनित रोग है और यह एक लाइलाज बीमारी है | अगर हो गई तो ठीक नहीं होती है और व्यक्ति को आजीवन दिव्यांग बना देती है | केवल व्यायाम और देख रेख से इसका प्रबंधन किया जा सकता है | इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय दवा का सेवन् करना है | तीन साल् तक लगातार साल में एक बार दवा के सेवन से इस बीमारी से बचा जा सकता है
दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
क्या है फाइलेरिया ?
यह एक मच्छरजनित बीमारी है जिसे हाथी पाँव भी कहते हैं | फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलूरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से लोग ग्रसित हो जाते हैं | किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात् बीमारी के लक्षण आने में पांच से 15 वर्ष लग सकते हैं |
इस अवसर पर 2 आशा संगिनी, 40 आशा कार्यकर्ता 34 आंगनबाड़ी, सुनील कुमार गुप्ता बीसीपीएम, पीसीआई और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च(सीफॉर) के प्रतिनिधि मौजूद रहे |