22.16 लाख की आबादी को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य

सभी विद्यालयों एवं कॉलेजों में बूथ लगाए जाएंगे

अमेठी, 8 फरवरी 2024
राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलेगा जिसके तहत लोगों को फाइलेरियारोधी दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेन्डाजोल खिलाई जाएगी |

इसी क्रम में बृहस्पतिवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान मे स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला आयोजित हुई |

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अंशुमान सिंह ने कहा कि अभियान को सफल बनाने मे सभी मीडिया कर्मियों का सहयोग अपेक्षित है | आप सभी जन-जन तक यह संदेश अवश्य पहुंचाएं कि फाइलेरियारोधी दवा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सामने ही खानी है और यदि उस समय आप उपस्थित नहीं हैं तो आशा कार्यकर्ता से मांगकर खा लें |

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि जनपद में 22.16 लाख की आबादी को फाइलेरियारोधी दवा खिलाने का लक्ष्य है | ये दवा दो साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर रूप से बीमार को छोड़कर सभी को खानी है | अभियान के तहत 1783 टीमों के द्वारा घर-घर जाकर दवा का सेवन कराया जाएगा हर टीम में दो सदस्य होंगे| लगभग 304 सुपरवाइजर द्वारा कार्य का पर्यवेक्षण किया जाएगा ।

प्रत्येक टीम हर दिन कम से कम 25 घरों का भ्रमण कर दवा का सेवन कराएगी|

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. राम प्रसाद ने कहा कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे सामान्यतः हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है | इसके मुख्य लक्षण पैरों व हाथों में सूजन (हाथीपांव), पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोश का सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन है |

फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद कुछ ,व्यक्तियों में जी मितलाने, चक्कर आना और उल्टी आने की समस्या हो सकती है । इससे घबराने के जरूरत नहीं है । इसका मतलब है कि शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद थे और फाइलेरियारोधी दवा सेवन के बाद शरीर में फाइलेरिया परजीवियों की मृत्यु होने के परिणामस्वरूप यह प्रतिक्रिया हुई है ।

सभी सीएचसी पर कुल 26 रैपिड रिस्पॉन्स टीम (आरआरटी) बनाई गई है जो प्रतिकूल प्रतिक्रिया होने पर तुरंत आवश्यक सहयोग करेगी

जिला मलेरिया अधिकारी डा. शेषधर द्विवेदी ने कहा कि हम सामान्य हैं तो हम दवा क्यों खाएं। यह एक भ्रम है क्योंकि संक्रमण के बाद फाइलेरिया के लक्षण 10 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं और तब तक हम जाने अनजाने रोग के प्रसार मे सहयोग करते हैं | फाइलेरियारोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और उच्च गुणवत्ता की हैं तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित हैं । सभी को ध्यान रखना होगा कि खाली पेट दवा का सेवन नहीं करना है ।

इस अभियान में सहयोगी संस्थाए भी सहयोग कर रहीं है जैसे सीफार संस्था के सहयोग से जनपद में फाइलेरिया पेशंट प्लेटफार्म के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों व अन्य हितधारकों के साथ मिलकर और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समुदाय में जन जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रहीं हैं | पीसीआई के द्वारा प्रधानों, कोटेदारों और विद्यालयों में फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के लिए जन जागरूकता कर रहे हैं और बूथ लगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं । पाथ संस्था पूरे अभियान की मॉनिटरिंग और सुपरविजन कर रही है ।

कार्यशाला में फाइलेरिया मरीज। अल्पना ने अपने अनुभवों को साझा किया । इसी के साथ हितधारक कोटेदार धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि वह आईडीए अभियान में अपना सहयोग करते हुए इसकी जानकारी अपनी दुकान के सूचनापट पर लिखेंगे और फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफार्म के सदस्यों के साथ मिलकर लोगों को दवा खाने के लिए राजी करेंगे ।

कार्यक्रम के अंत में अभियान की तैयारियों को लेकर मीडिया के प्रश्नों के जवाब भी दिए गए। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. संजय शर्मा, सहायक मलेरिया अधिकारी सुशील कुमार, जिला मलेरिया इकाई के सदस्य, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के कर्मचारी, स्वयंसेवी संस्था सीफॉर, पाथ, पीसीआई के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में पत्रकार बंधु मौजूद रहे ।