( रामकुमार सिंह कुशीनगर)

कुशीनगर! जनपद के विकास खण्ड रामकोला अन्तर्गत 208 आंगनबाड़ी केंद्रों सहित बाल विकास परियोजना कार्यालय किराये के भवन से संचालित किये जाते हैं ! प्रदेश सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केन्द्रो की हालत सुधारने के लिए चाहे जो प्रयास किया जाये लेकिन स्थानीय स्तर पर व्यवस्था में परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है ! विकास खण्ड रामकोला क्षेत्र के 273 केंद्रों पर 21874 बच्चों का नामांकन है, लेकिन 208 केंद्रों के पास अपना भवन ही नहीं है! खुद बाल विकास परियोजना कार्यालय भी किराए के कमरे में है!
छह साल से कम उम्र के बच्चों को स्वस्थ बनाए रखने एवं उन्हें पढ़ाई के लिए मानसिक तौर पर तैयार करने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी केंद्रों पर है! कुपोषण मिटाने का अभियान भी इसी केंद्रों से चल रहा है, लेकिन खुद इन केंद्रों की हालत ही दयनीय है! रामकोला ब्लॉक में कुल 273 आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे हैं, जिनमें से केवल 65 भवन विभागीय हैं, जो केंद्र अपने भवन में हैं, उनकी हालत भी दयनीय है! कहीं प्लास्टर गिर रहा है तो कहीं फर्श टूट गया है। कहीं-कहीं तो छत भी गिरने की स्थिति में है! केंद्रों की यह हालत तब है, जबकि इनकी निगरानी के लिए एक सीडीपीओ के अलावा तीन सुपरवाइजर भी हैं! अभी हाल ही में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बच्चों की उपस्थिति तथा गर्भवती व धात्री महिलाओं को जानकारी का डाटा अपडेट करने के लिए सरकार की तरफ से मोबाइल फोन भी नि:शुल्क दिया गया है !
इस संबंध में सीडीपीओ रामकोला सौरभ मिश्रा बताते हैं कि बच्चों के नामांकन का नया डाटा तैयार हो रहा है, जो केंद्र स्कूलों में संचालित हैं, वहां सभी जरूरी सुविधाएं मिल रही हैं! अपने भवन में चलने वाले केंद्रों में अगर कहीं कोई दिक्कत है तो पता कराकर सुधार का प्रयास किया जाएगा! सबसे अहम सवाल यह है कि सिर्फ खानापूर्ति से काम चलाने वाले अधिकारियों की जबाबदेही कौन तय करेगा ? जिला प्रशासन या प्रदेश सरकार ?