रविंद्र सिंह,रायबरेली। प्रदेश सरकार ने जिले से लेकर रेलवे स्टेशन का नाम बदल दिया। साथ ही एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशनों को भी सौंदर्यकरण व बेहतर व्यवस्था बनाने के लिये निजी हाथों में लीज पर दे दिया गया। रायबरेली में भी नाम बदलने की कवायद चल रही है। चौराहे के सौंदर्य करण के नाम पर जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने एक तरकीब लगाई। समाज के कुछ धनपशु कहे जाने वाले प्रतिष्ठित लोगों द्वारा शहर के प्रमुख चौराहों को नवीनीकरण किया गया। जिसमें घण्टाघर चौराहा, सारस चौराहा, सिविल लाइंस चौराहा सहित अन्य चौराहे को निजी हाथों में देकर डीएम साहब से सौंदर्यकरण तो करवा दिया लेकिन इन चौराहों पर उन्ही लोगों ने अपने प्रतिष्ठानो के साथ साथ अपने खुद को नामो को भी सजा डाला। लाल पत्थरों से तैयार हुआ घण्टा घर चौराहा जैसे ही तैयार हुआ उस पर हरिओम चौराहा नाम अंकित कर दिया गया। वहीं सिम हंस हॉस्पिटल का नाम भी सारस चौराहे पर अंकित हो गया। ज्ञात हो कि हरि ओम चौराहे के निर्माण मशहूर वकील समीर ओम तो सारस चौराहे के नाम सिम हंस हॉस्पिटल के मालिक मनीष चौहान ने कराया है। समीर ओम ने अपने पिता जी हरि ओम के नाम से चौराहे के नाम रख लिया है तो वहीं मनीष चौहान ने अपने हॉस्पिटल सिम हंस के नाम से चौराहे के नाम रख लिया। ऐसे में यह सवाल बनता है कि क्या सौंदर्यकरण के नाम पर कोई भी व्यक्ति कुछ लाख रुपये खर्च करके अपने पिता या अपने संस्थान का नाम रख कर चौराहे पर कब्जा कर सकता है। अभी तक यही परंपरा रही है कि चौराहे के नाम किसी महान हस्ती, शहीद, उस चर्चित स्थान के नाम पर रखा जाता था, लेकिन इस प्रकार की नई परंपरा से यही लगता है कि अब सार्वजनिक स्थानों पर भी धनपशुओं का कब्जा ऐसे हो जाएगा।