✍️नरेश सैनी

भाइचारे, त्याग, समर्पण और इंसानियत का पैगाम देती हैं ईद

🟥मथुरा – त्यौहार रोजमर्रा की दिनचर्या से हटकर हम में नया उत्साह पैदा करते हैं। प्रत्येक समाज के अपने अलग अलग त्यौहार होते हैं और उनका महत्व भी अलग अलग होता हैं। कुछ त्यौहार धार्मिक कुछ सांस्कृतिक व कुछ राष्ट्रीय होते हैं। जिन्हें हर समाज के हर वर्ग के लोग मनाते हैं।

वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता एवं समाजसेवी ठाकुर संजीव कुमार सिंह एडवोकेट सुप्रीमकोर्ट ऑफ़ इंडिया, एआईसीसी ऑब्जर्वर इंचार्ज यूपी, बिहार, राजस्थान, कर्नाटका एवं छत्तीसगढ़ ने ईद उल जुहा के अवसर पर सभी से अपील करते हुये बताया कि ईद भाइचारे, त्याग, समर्पण और इंसानियत का पैगाम देती हैं। इसलिए ईद पर हिन्दू भाईयों की धार्मिक आस्था का ख्याल रखें और आपसी भाईचारे के साथ ईद उल जुहा का त्योहार मनाएं। क्युकी ईद सबको मिलजुलकर रहने और भलाई करने की सीख देती हैं। हमारी सभी से अपील हैं कि अपने हिन्दू भाइयों की धार्मिक आस्था को देखते हुए किसी प्रतिबंधित जानवर की कुर्बानी न करें तथा कुर्बानी के दिनों में सफाई का खास ख्याल रखें। कुर्बानी का खून खुली नालियों में न बहायें और सोशल मीडिया पर जानवरों की तस्वीर न डालने, खास कर गोश्त को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में बंद थैलों का इस्तेमाल करें। यातायात के नियमों का पालन करें। वाहन चलाएं समय हेलमेट का प्रयोग बहुत ही जरुरी हैं। जिससे किसी को परेशानी न होने पाए। लिहाजा ईदुल अज़हा के त्योहार को आपसी भाईचारा के साथ मनाएं और आगरा की एकता को बरकरार रखें।

श्री सिंह ने आगे बताया कि अमूमन यह माना जाता है कि इस ईद का संबंध बकरे से है। वास्तव में, ईदे कुरबां का अर्थ बलिदान की भावना हैं। इस अवसर पर भगवान पुरुष के करीब हो जाता है। भाईचारे के इस त्योहार की शुरुआत तो अरब से हुई है मगर, ‘तुजके जहांगीरी’ में लिखा है- ‘जो जोश, खुशी और उत्साह भारतीय लोगों में ईद मनाने का है, वह तो समरकंद, कंधार, इस्फाहान, बुखारा, खुरासान, बगदाद और तबरेज जैसे शहरों में भी नहीं पाया जाता, जहां इस्लाम का जन्म भारत से पहले हुआ था। बादशाह अपनी प्रजा के साथ मिलकर ईदे-अजहा मनाते थे। गैर मुस्लिमों को बुरा न लगे, इसलिए ईद वाले दिन शाम को दरबार में उनके लिए विशेष शुद्ध वैष्णव भोजन हिन्दू बावर्चियों द्वारा बनाए जाते थे। इस बात के प्रमाण हैं कि ईद मनाने की परंपरा भारत में बहुत पुरानी है, इसीलिए ईद के दिन आजकल भारत में ऐसा नजारा देखने को मिलता है, जैसे कि यह सारे भारत वर्ष का अपना पर्व हो। यही भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा है। इसी विचार के साथ भाइचारे, त्याग, समर्पण, इंसानियत, सबको मिलजुलकर रहने और भलाई करने का पैगाम देते त्यौहार ईद उल जुहा के मौक़े पर सभी देशवासियों को शुभकामनायें एवं बधाई।