सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन पर रेप का मामला दर्ज करने का दिया निर्देश

 


सुप्रीम कोर्ट में नहीं मिली भाजपा नेता को राहत

हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इंकार

✍️डॉ शशि कांत सुमन
🟥नई दिल्ली। भाजपा के वरीय नेता सह पूर्व मंत्री शहनवाज हुसैन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रेप का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया ही।बीते वर्ष एक महिला ने भाजपा के वरीय नेता सह शाहनवाज हुसैन पर एक महिला ने रेप का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला के याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा के वरीय नेता सह पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन पर रेप का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के विरुद्ध शाहनवाज हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका के आलोक में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर तत्काल रोक लगा दी थी। लेकिन आज आए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भाजपा नेता को राहत देने से इंकार कर दिया है। और भाजपा के वरीय नेता सह पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन के विरुद्ध रेप का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भाजपा के वरीय नेता सह पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन की मुश्किलें बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस भाजपा के वरीय नेता सह पूर्व मंत्री शाहनवाज हुसैन के विरुद्ध रेप का मामला दर्ज मामले की अनुसंधान करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शाहनवाज हुसैन के समर्थकों में निराशा देखी जा रही है।

जानिए क्या है पूरा मामला
वर्ष 2018 के अप्रैल महीने में एक महिला ने शाहनवाज हुसैन पर रेप करने का आरोप लगाया था। आरोप है कि छतरपुर के एक फॉर्म हाउस में नशीला पदार्थ खिलाकर शाहनवाज हुसैन ने उसके साथ रेप किया था। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया था। इसके बाद महिला ने दिल्ली के साकेत कोर्ट में याचिका लगाई। साकेत जिला कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को शाहनवाज हुसैन के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। निचली अदालत के इस आदेश को शाहनवाज हुसैन ने पहले साकेत कोर्ट में ही विशेष जज के सामने चुनौती दी थी। वहां से जब राहत नहीं मिली तो उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की। लेकिन हाई कोर्ट से भी बीजेपी नेता को रियायत नहीं मिली और अब उनके खिलाफ रेप केस दर्द होगा। पुलिस जांच करेगी, तीन महीने में रिपोर्ट देनी होगी।

कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

कोर्ट ने बुधवार को अपने आदेश में कहा, ‘मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए। जांच पूरी की जाए और CRPC (दण्ड प्रक्रिया संहिता) की धारा 173 के तहत विस्तृत रिपोर्ट तीन महीने के भीतर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए।’ हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस की स्थिति रिपोर्ट में चार अवसरों पर पीड़िता के बयान दर्ज करने का जिक्र किया गया है लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है कि एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई। बता दें कि एक मजिस्ट्रेट अदालत ने सात जुलाई 2018 को हुसैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देते हुए कहा था कि महिला की शिकायत के आधार पर एक संज्ञेय अपराध का मामला बनता है। भाजपा नेता ने अदालत के आदेश को सत्र अदालत में चुनौती दी थी, जिसने उनकी याचिका खारिज कर दी।उच्च न्यायालय ने 13 जुलाई 2018 को एक अंतरिम आदेश जारी कर निचली अदालत के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। उच्च न्यायालय ने उस वक्त हुसैन की याचिका पर नोटिस जारी किया था और महिला और पुलिस से जवाब मांगा था। हुसैन ने निचली अदालत के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी थी कि शिकायतकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप पुलिस की जांच में सही साबित नहीं हुए, फिर भी निचली अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। अभियोजन पक्ष ने कहा कि ललिता कुमारी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के आलोक में प्राथमिकी दर्ज की जानी थी और उसे दर्ज किए जाने के संबंध में दिए आदेश में कोई त्रुटि नहीं है।