बिहारमुखिया को पंचायती राज व्यवस्था में कई शक्तियां मिली है जैसे ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठक आयोजित करना और उनकी अध्यक्षता करना, विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की जिम्मेदारी, एक कैलेंडर वर्ष में कम से कम चार बैठक आयोजित कराना ,ग्राम पंचायत की कार्य योजना के प्रस्ताव को लागू करना ,विभिन्न निर्माण कार्यों को कार्यान्वित कराना ,राज्य सरकार या एक्ट अथवा किसी कानून के अनुसार सौंपी गई अन्य जिम्मेदारियों और कार्यों को पूरा करना आदी ।

राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक मुखिया का मतदान इस बार ईवीएम से कराया जाएगा। वोटिंग के 48 घंटे के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस ने बाजी मारी , इस बार नतीजों के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
बिहार में पंचायत चुनाव आगामी 24 सितंबर से 12 दिसंबर तक 11 चरणों में संपन्न होगा। प्रत्यक्ष निर्वाचन से 5 साल के लिए पंचायतों का गठन किया जाएगा। बिहार में इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान मुखिया जी ₹40000 तक प्रचार-प्रसार आदि में खर्च कर सकेंगे।
कोरोना के साए में मुखिया का चुनाव संपन्न कराया जाएगा ।प्रत्याशी के साथ उनके 1 प्रस्तावक के अलावा अन्य किसी के जाने पर प्रतिबंध रहेगा।
राशि का लेखा जोखा –
सरकार से विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली राशि में से पचासी परसेंट राशि ग्राम पंचायत में मुखिया जी के माध्यम से खर्च होता है। एक मुखिया जी अगर चाहे तो ग्राम पंचायत में प्रत्येक साल वित्तीय वर्ष में कम से कम एक करोड़ रुपए की राशि विकास योजनाओं में खर्च कर सकते हैं, इस प्रकार वह 5 सालों में लगभग 5 करोड रुपए कम से कम विकास योजनाओं के लिए खर्च कर सकते हैं जिससे सही ही कहा गया है कि गांव टोले का विकास- मुखिया जी के हाथ।

सरकार द्वारा eGramSwaraj एप्प लाया गया है ,जिसके माध्यम से हम पूरे देश के किसी भी ग्राम पंचायत हेतु प्रतेयक वित्तीय वर्ष में स्वीकृत राशि /कार्य योजना को डिजीटल रूप में देख सकते हैं ,यह सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा ट्रांसपेरेंट सिस्टम को प्रदर्शित करता है और ग्राम पंचायत के कार्यो को सरल तरीके से आमजन के बीच में सशक्त तरीके से रखने का माध्यम बन चुका है ।

(विकास कुमार चौहान)