मथुरा
✍️रिपोर्ट सत्येंद्र यादव

मथुरा। श्री राधापुरम कॉलोनी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर व्यास मदन मोहन शास्त्री ने श्रीमद्भागवत पुराण महात्म्य के बारे में बताया कि इसके श्रवण मात्र से एक जन्म ही नहीं बल्कि हमारे कई जन्मों के पापों का नाश हो जाता है। यदि हमें आंतरिक शांति चाहिए तो अपने कर्तव्य पालन सदा ही शुद्ध मन से करना चाहिए। परमात्मा को याद करने के लिए समय निकालना जरूरी है, ताकि हमारे अंदर स्वच्छ विचारों का उदय हो सके। हमें अहंकार को त्यागकर ईश्वर की भक्ति करनी होगी। कहा कि व्यक्ति के पास सुख सुविधाओं के बहुत साधन हो पर मन को शांति ना हो तो उसे कुछ अच्छा नहीं लगता और जिसके मन में शांति हो उसे किसी भौतिक वस्तु की जरूरत नहीं होती। अगर मन शांत है तो कोई भी अवगुण हमारे अंदर प्रवेश नहीं कर सकता। मन के शांत होने का अर्थ इच्छाओं का समाप्त हो जाना है। जब हमारी इच्छाएं पूरी तरह से शांत हो जाती हैं, तो आम मनुष्य भी महान संत स्वरूप हो जाता है। कलश शोभायात्रा में उपजिलाधिकारी छाता कमलेश गोयल साथ रहे। उन्होंने कथा व्यास पं. मदन मोहन शास्त्री जी का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस अवसर पर कुंजबिहारी शास्त्री, डाॅ. वीपी शर्मा, प्रदीप मित्तल, सुमन प्रकाश अग्रवाल, अशोक गोयल, अंजू भाटिया, धरम शास्त्री मौजूद रहे।